राज्यपाल के बयान पर सियासत तेज, महबूबा-उमर-रशीद ने राजनीति में हस्तक्षेप न करने की सलाह दी
इंजीनियर रशीद ने कहा कि महबूबा मुफ्ती को आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या वजह है कल तक जो उसकी तारीफ करते थे आज उसकी बेइज्जती क्यों कर रहे हैं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा सैन्य बलों का समर्थन करना और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफती को खरी-खरी सुनाना न सिर्फ महबूबा बल्कि उमर अब्दुल्ला समेत अन्य सियासतदानों को भी नहीं सुहाया है। उमर ने तो राज्यपाल को राजनीति में अनावश्यक हस्तक्षेप न करने की सलाह दी है। वहीं पीडीपी अध्यक्षा ने उन पर राजनीति व पक्षपात करने का आरोप लगाया है। यही नहीं पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि राज्यपाल के बयान ने यह साबित किया है कि कश्मीरियों में भारत विरोधी भावना बहुत गहरी है ।
दरअसल राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आज सुबह यहां पत्रकारों के साथ बातचीत में महबूबा मुफ्ती द्वारा गत शाम श्रीनगर में सेना की 44आरआर के मेजर पर की गई टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि महबूबा जी की बात को गंभीरता से लेने की जरुरत नहीं है। चुनाव का समय है, उनकी पार्टी टूट रही है, वह ऐसी ही बातें कर सत्ता में आना चाहती हैं। उनके साथ सहानुभूति की जरुरत है। मैं सैन्यबलों के साथ खड़ा हूं।
मिल्ट्री की ताकत से हल नहीं हो सकती कश्मीर समस्या
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया अपने ट्वीटर हैडल पर व्यक्त करते हुए लिखा एक नौजवान के साथ जानवरों जैसे हुए व्यवहार का नोटिस ले, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देने के बजाय माननीय राज्यपाल राजनीति की बातें कर रहे हैं। संवैधानिक प्राधिकारियों को पक्षपात करते देख दुखी हूं। कश्मीर एक सियासी मसला है, जो मिल्ट्री ताकत से हल नहीं हो सकता। बहादुरी के लिए सराहे जाने वाले सैन्याधिकारी, जिन्हें हम हीरो करार देते हैं, अगर मानवाधिकारों का उल्लंघन करें तो उन्हें जवाबदेय बनाए जाने की भी जरुरत है। इसलिए हम पर सेना को बदनाम करने का आरोप लगाने के बजाय हमें साफगोई से काम लेना चाहिए। मैने कोर कमांडर से भी इस घटना के बारे में बात की है।
पद की गरिमा को ध्यान में रख बयानबाजी करें राज्यपाल
वहीं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी राज्यपाल के बयान पर एतराज जताया। उन्होंने अपने ट्वीटर हैडल पर लिखा है, राज्यपाल साहब यह बयान अस्वीकार्य है। राजनीति में अनावश्यक हस्ताक्षेप है। अगर यूं ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब राजभवन को लोग गंभीरता से लेना बंद कर देंगे। इसलिए आप किसी भी तरह का बयान देने से पहले अपने कार्यालय और पद की प्रतिष्ठा के बारे में जरुर सोचें।
कश्मीर में भारत विरोधी भावना की जड़े बहुत गहरी हैं
पूर्व विधायक और अवामी इत्तेहाद पार्टी के चेयरमैन इंजीनियर रशीद ने कहा कि राज्यपाल का बयान साबित करता है कि कश्मीर में भारत विरोधी भावना की जड़ेंं बहुत गहरी हैं। दिल्ली के कश्मीर में एजेंट भी उसके खिलाफ खुलेआम नहीं बोल सकते। राज्यपाल ने राजनीतिक दलों की आलोचना कर अपनी संवैधानिक व नैतिक सीमा को लांघा जरुर है, लेकिन उन्होंने कश्मीर की कठोर सच्चाई को उजागर किया है। पीडीपी, नेकां या कोई अन्य दल क्या कहें, क्या करें, यह बताना राज्यपाल का काम नहीं। लेकिन क्षेत्रीय दलों को राज्यपाल के बयानों से सबक लेना चाहिए कि दिल्ली को जब जरुरत होती है तो उस समय वह क्षेत्रीय दलों के सामने गिड़गिड़ाने से परहेज नहीं करती। वक्त निकलते ही वह उन्हें कचरे के डिब्बे में फेंक देती है।
महबूबा मुफ्ती को आत्मचिंतन करने की जरूरत
इंजीनियर रशीद ने कहा कि महबूबा मुफ्ती को आत्मचिंतन करना चाहिए कि क्या वजह है कल तक जो उसकी तारीफ करते थे आज उसकी बेइज्जती क्यों कर रहे हैं। अगर राज्यपाल यह मानते हैं कि महबूबा मुफ्ती को अपनी सियासत के लिए सुरक्षाबलों के खिलाफ बोलते हुए भारत विरोधी रवैया अपनाना पड़ रहा है तो फिर यह समझना कतई मुश्किल नहीं कि यहां सिर्फ आतंकी ही नहीं अलगाववादी नेताओं को भी स्थानीय जनता का भरपूर समर्थन है। यह अत्यंत शर्मनाक है कि तौसीफ अहमद नामक एक युवक की निर्ममता से पिटाई के लिए मेजर शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय राज्यपाल महबूबा मुफती की आलोचना कर पूरे मामले से लोगों को ध्यान हटाने का प्रयास कर रहे हैं।