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महबूबा मुफ्ती का आरोप, 'न झुकने वाले कश्मीरी सियासतदानों को प्रताड़ित कर रही केंद्र सरकार', वाहिद भी उनमें से एक

Mehbooba Mufti जिस व्यवस्था में वहीद ने अपनी आस्था जतायी जिसके लिए वह वफादार रहा आज वही बदले की भावना से उसे प्रताड़ित कर रही है। अवैध हिरासत में रहते हुए उसने डीडीसी चुनाव लड़ा व जीता है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन सच्चाई और इंसाफ की जीत होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 08:20 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 08:20 AM (IST)
महबूबा मुफ्ती का आरोप, 'न झुकने वाले कश्मीरी सियासतदानों को प्रताड़ित कर रही केंद्र सरकार', वाहिद भी उनमें से एक
पीडीपी अध्यक्षा ने कहा कि अब न्यायपालिका ही इस युवा सियासतदान केे लिए आखिरी उम्मीद है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर उनके आगे न झुकने वाले कश्मीरी नेताओं को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पीडीपी की युवा इकाई के प्रधान वहीद-उर-रहमान पारा की गिरफ्तारी कश्मीरी नेताओं की दयनीय स्थिति का सुबूत है।

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पुलवामा जिले से संबधित वहीद-उर-रहमान पारा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर नवीद बाबू के साथ कथित संबंधों के आरोप में 25 नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया था। पारा ने अपनी गिरफ्तारी से पहले ही जिला विकास परिषद पुलवामा के चुनाव में हिस्सा लेने के लिए अपना नामांकन पत्र जमा कराया था। वह अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें प्रशासन ने शपथ नहीं दिलायी है। एनआइए की विशेष अदालत से उन्हें जमानत भी मिल गई थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर पुलिस के काउंटर इंटेलीजेंस विंग कश्मीर (सीआइके) ने उन्हें अपनी हिरासत में ले लिया था।

महबूबा मुफ्ती ने वहीद-उर-रहमान पारा की लगातार हिरासत पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा है कि भारत सरकार द्वारा जिस तरीके से पारा को प्रताड़ित किया जा रहा है, कश्मीरी सियासतदान आज उसी स्थिति में खुद को महसूस करते हैं। एक तरफ भारतीय संविधान पर आस्था जताने के कारण इन पर कश्मीर में कोई यकीन नहीं करता, कोई इन्हें पसंद नहीं करता और दूसरी तरफ इन्हें अपने आगेे झुकते न देख केंद्र सरकार भी प्रताड़ित कर रही है।

पीडीपी अध्यक्ष ने वहीद उर रहमाना पारा की सियासी गतिविधियों में रुची का हवाला देते हुए बताया कि पारा के दादा उस समय तिरंगा फहराते थे जब कश्मीर में अधिकांश लोग इससे बचते थे। वहीद बचपन से ही सियासत में रुची लेने लगा था। वह अपने दादा के साथ अकसर एक स्थानीय विधाायक के घर जाता और वहां होने वाली सियासी बहस व गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखता-समझता था। उसकी मां हमेशा डरती थी कि कहीं अपनी सियासी दिलचस्पी के कारण वहीद आतंकियों का निशाना न बन जाए। अफसोस की बात है कि इसी डर में उसकी जान चली गई। जब उसकी मौत हुई तो उस समय वहीद अपना किशोरावस्था में ही था।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा है कि जिस व्यवस्था में वहीद ने अपनी आस्था जतायी, जिसके लिए वह वफादार रहा, आज वही बदले की भावना से उसे प्रताड़ित कर रही है। अवैध हिरासत में रहते हुए उसने डीडीसी चुनाव लड़ा व जीता है। एनआइए अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बावजूद उसे सीआइके ने अज्ञात आरोपों पर दोबारा गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपों को साबित करने के लिए काेई मजबूत सुबूत भी नहीं है। इसके बावजूद भारत सरकार वहीद को कभी एक एजेंसी के जरिए तो कभी दूसरी सुरक्षा एजेंसी से गिरफ्तार करवा रही है। यह सिर्फ राजनीतिक दुराग्रह है। यह एक 32 वर्षीय युवा व ऊर्जावान नेता की जिंदगी को खत्म करने की साजिश है। पीडीपी अध्यक्षा ने कहा कि अब न्यायपालिका ही इस युवा सियासतदान केे लिए आखिरी उम्मीद है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन सच्चाई और इंसाफ की जीत होगी। 


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