Jammu Kashmir: महबूबा को पासपोर्ट के लिए उच्च न्यायालय से भी नहीं मिली मदद, कहा-यह मेरे कार्याधिकार में नहीं
महबूबा मुफ्ती ने अदालत के फैसले और सीआइडी रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया अपने ट्वीटर हैंडल पर व्यक्त करते हुए लिए है कि पासपोर्ट कार्यालय ने मुझे सीआइडी की एक रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट जारी करने से इंकार किया है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा व पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को अपने पासपोर्ट के लिए उच्च न्यायालय से भी काेई मदद नहीं मिली। उच्च न्यायालय ने इसे अपने कार्याधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताते हुए इसमें दखल देने से इंकार कर दिया है। सिर्फ महबूबा मुफ्ती ही नहीं उनकी मां गुलशन मुफ्ती को भी जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीआइडी विंग की नकारात्मक रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने उन्हें पासपोर्ट देने से इंकार कर दिया है। सीआइडी ने पीडीपी अध्यक्षा की विदेश यात्रा को राष्ट्रीय एकता व सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
उल्लेखनीय है कि पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में देरी को देखते हुए महबूबा मुफ्ती ने बीते सप्ताह जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय में जस्टिस अली मोहम्मद मागरे की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस अली मोहम्मद मागरे ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मेरी राय में यह अदालत याचिकाकर्ता के पक्ष में पासपोर्ट जारी करने की कोई हिदायत नहीं दे सकती। किसी व्यक्ति विशेष के मामले में पासपोर्ट जारी करने के मामले में इस अदालत के पास काेई ज्यादा अधिकार नहीं है। अदालत सिर्फ संबंधित संस्था को संबंधित नियमों के आधार पर आवेदक को पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ही कह सकती है।
इससे पूर्व क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी श्रीनगर ने उच्च न्यायालय में एडीजीपी सीआइडी जम्मू-कश्मीर की एक रिपोर्ट भी जमा कराते हुए बताया कि सीआइडी ने महबूबा मुफ्ती को पासपोर्ट जारी करने की सिफारिश से इंकार किया है। नियमों के मुताबिक पुलिस की जांच रिपोर्ट पासपोर्ट के लिए अनिवार्य है। सीआइडी की रिपोर्ट के आधार पर महबूबा मुफ्ती का पासपोर्ट आवेदन पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा छह की उपधारा दो-सी के तहत खारिज किया जाता है।
महबूबा मुफ्ती ने 11 दिसंबर 2020 को पासपोर्ट जारी करने के लिए आवेदन किया था। महबूबा मुफ्ती से कहा गया है कि अगर वह इस फैसले से असहमत हैं तो वह ज्वाइंट सेक्रेटरी और मुख्य पासपोर्ट अधिकारी विदेश मामले के मंत्रालय पटियाला हाउस नई दिल्ली में 30 दिनों के भीतर आवेदन कर सकती हैं।
महबूबा मुफ्ती ने अदालत के फैसले और सीआइडी रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया अपने ट्वीटर हैंडल पर व्यक्त करते हुए लिए है कि पासपोर्ट कार्यालय ने मुझे सीआइडी की एक रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट जारी करने से इंकार किया है। सीआइडी ने मुझे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि अगस्त 2019 के बाद केंद्र सरकार ने कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की दिशा में यही उपलब्धि हासिल की है कि एक पूर्व मुख्यमंत्री को पासपोर्ट देने से एक महान राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरा पैदा हाे जाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी मां को भी पासपोर्ट से वंचित किए जाने की जानकारी देते हुए बताया कि 70 के दशक में पहुंच चुकी मेरी मां भी अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी हैं। इसलिए उन्हें पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता। भारत सरकार मुझे अपने आगे झुकाने केे लिए मुझे प्रताड़ित करने के यूं बेहूदा और निंदनीय कार्य कर रही है।