Mehbooba Mufti Detained : महबूबा मुफ्ती का कहना, घर में नजरबंद किया गया है मुझे
महबूबा ने लिखा कि कश्मीर को एक खुली जेल में बदलने के बाद अब मृतकों को भी नहीं बख्शा गया है। एक परिवार को शोक करने और उनकी इच्दा के अनुसार अंतिम विदाई देने की अनुमति भी नहीं है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : अलगाववादी नेता सईद अली शाह गिलानी के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटने और और वहां देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन करने वाली महबूबा मुफ्ती ने अब खुद को नजरबंद किए जाने का दावा किया है। महबूबा ने ट्वीट कर खुद के घर में नजरबंद किए जाने का दावा करते हुए लिखा है कि भारत सरकार अफगानियों के अधिकारों की तो चिंता कर रही है लेकिन दूसरी तरफ कश्मीरियों के अधिकारों का हनन कर रही है। मुझे आज नजरबंद कर दिया गया क्योंकि प्रशासन के अनुसार कश्मीर में स्थिति सामान्य से बहुत दूर है। यह कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के दावों की पोल खोलता है।
सईद अली शाह गिलानी की मौत के बाद उनके परिजनों ने उनके शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेट कर वहां पाकिस्तान के समर्थन में भी नारेबाजी की थी। इस घटना के बाद पुलिस ने गिलानी के परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिसके बाद महबूबा भी मैदान में कूद गई थी। महबूबा ने उस समय भी कर प्राथमिकी दर्ज करने की आलोचना की।
GOI expresses concern for the rights of Afghan people but wilfully denies the same to Kashmiris. Ive been placed under house arrest today because according to admin the situation is far from normal in Kashmir. This exposes their fake claims of normalcy. pic.twitter.com/m6sR9vEj3S— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 7, 2021
महबूबा ने लिखा कि कश्मीर को एक खुली जेल में बदलने के बाद अब मृतकों को भी नहीं बख्शा गया है। एक परिवार को शोक करने और उनकी इच्दा के अनुसार अंतिम विदाई देने की अनुमति भी नहीं है। गिलानी के परिवार के सदस्यों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज करना सरकार की निर्दयता को दिखाता है। यह नए भारत का नया कश्मीर है। इसके बाद महबूबा ने श्रीनगर में भी पत्रकारों से बातचीत करते हुए गिलानी के परिवार के सदस्यों पर मामला दर्ज किए जाने की आलोचना की थी। हालांकि कश्मीर पुलिस ने भी दावा किया था कि गिलानी की माैत के बाद आइजी कश्मीर उनके घर में शोक प्रकट करने गए थे।
वहां उन्होंने उनके परिजनों से अपील की थी कि हालात को देखते गिलानी को सुपुर्द-ए-खाक करने की रस्में जल्द पूरी कर ली जाए ताकि यहां पर कानून व्यवस्था न बिगड़। उस समय गिलानी के परिजन यह बात मान गए थे लेकिन बाद में पाकिस्तान के दबाव में आकर उन्होंने इस कार्रवाई को अंजाम दिया था।