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लगातार गिरते पारे के बीच जम्मू में सियासी तापमान माप रहीं महबूबा, एक महीने में दूसरी बार जम्मू में डाला डेरा

एक महीने में दूसरी बार जम्मू आईं महबूबा मुफ्ती पांच दिनों तक यहां पर रहेंगी। जम्मू संभाग में पीडीपी का अधिक जनाधार पहले भी नहीं था लेकिन राजौरी पुंछ किश्तवाड़ सहित कुछ जिलाें में पार्टी के पास पहलेे कई कद्दावर नेता थे और उनकी लोगों के बीच पैठ भी थी।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 07:24 PM (IST)Updated: Sun, 14 Nov 2021 07:24 PM (IST)
लगातार गिरते पारे के बीच जम्मू में सियासी तापमान माप रहीं महबूबा, एक महीने में दूसरी बार जम्मू में डाला डेरा
कश्मीर केंद्रित राजनीति के लिए मशहूर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का ध्यान इन दिनों जम्मू पर है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : लगातार गिरते पारे के बीच महबूबा मुफ्ती इन दिनों जम्मू का सियासी तापमान माप रहीं हैं। कश्मीर केंद्रित राजनीति के लिए मशहूर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती का ध्यान इन दिनों जम्मू पर है। हालांकि वरिष्ठ नेताओं की कमी उन्हें जरूर खल रही है, लेकिन वे अपने कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने में जुटी हुई हैं कि पार्टी पहले की तरह ही मजबूत है। लगातार विभिन्न स्थानों से आ रहे कार्यकर्ताओं के साथ मिल रही है। वह अपने पिता स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद को राजनीतिक संजीवनी देने वाले आरएस पुरा भी जाने वाली हैं।

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एक महीने में दूसरी बार जम्मू आईं महबूबा मुफ्ती पांच दिनों तक यहां पर रहेंगी। जम्मू संभाग में पीडीपी का अधिक जनाधार पहले भी नहीं था, लेकिन राजौरी, पुंछ, किश्तवाड़ सहित कुछ जिलाें में पार्टी के पास पहलेे कई कद्दावर नेता थे और उनकी लोगों के बीच पैठ भी थी। पार्टी ने जम्मू संभाग से विधानसभा की तीन सीटें जीती भी थी, लेकिन पुंछ हवेली सेे जीते शाह मोहम्मद तांत्रे, चौधरी जुल्फिकार अली और चौधरी कमर हुसैन तीनों ही पार्टी छोड़ चुके हैं। इसके अलावा जम्मू पूर्व सांसद त्रिलोक सिंह बाजवा, वेद महाजन, हसन अली वफा, पूर्व एमएलसी असगर अली भी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं।

अब पार्टी के पास पूर्व एमएलसी फिरदौस टाक सहित कुछ चुनिंदा नेता ही जम्मू में बचे हैं और उनका भी अधिक जनाधार नहीं है। ऐसे में महबूबा मुफ्ती के पास जम्मू में पार्टी को फिर से खड़ा करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। वह भी उस समय जब कश्मीर केंद्रित दलों सहित सभी की प्राथमिकता इस समय जम्मू ही है। ऐसे में महबूबा मुफ्ती ने कमान स्वयं संभाली हुई है। वह एक महीने मे न सिर्फ दूसरी बार जम्मू में आई हैं, बल्कि अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को हाल भी जान कर उनमें उत्साह पैदा कर रही है।

महबूबा कल अपने पिता को राजनीतिक संजीवनी देने वाले क्षेत्र आरएस पुरा जाएंगी : महबूबा मुफ्ती सोमवार को आरएस पुरा में पार्टी के सरपंच सरताज सिंह का हाल जानने भी जाएंगी। वह चक मोहम्मद यार के सरंपच है और कुछ महीनों से बीमार चले आ रहे हैं। आरएस पुरा में हालांकि उनका कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, लेकिन वह इस क्षेत्र के लोगों को यह संदेश देना चाहती हैं कि अपने पिता की तरह ही इस क्षेत्र के लोग उनके दिल के करीब हैं। आरएस पुरा वह क्षेत्र है, जहां से साल 1985 में स्व. मुफ्ती मोहम्मद सईद उस समय चुनाव जीते थे, जब 1983 में कश्मीर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वह कश्मीर के पहले ऐसे नेता थे जो कि जम्मू में विधानसभा का चुनाव जीतने में सफल हुए थे।

महबूबा मुफ्ती अपने पिता की राह पर चलने का प्रयास कर रही हैं और जम्मू से नेताओं को पार्टी में शामिल करने में जुटी हुई हैं। कुछ सप्ताह पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील सेठी के भाई एडवोकेट अनिल सेठी पीडीपी में शामिल हुए थे। उन्हें पार्टी का प्रवक्ता भी बनाया गया। अब अन्य नेताओं को भी पार्टी में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह सही है कि कई वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद नुकसान हुआ है, लेकिन महबूबा मुफ्ती अपने कार्यकर्ताओं से लगातार संवाद बना रही हैं। वह जम्मू में विस्थापित कश्मीरी पंडितों से लेेकर रियासी, राजौरी, पुंछ सहित कई जगहों के लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को सुन रही हैं।

पीर बाबा की मजार पर चढ़ाई चादर : पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने अपने जम्मू दौरे के दूसरे दिन सतवारी में पीर बाबा की मजार पर चादर चढ़ाई और जम्मू-कश्मीर में शांति व खुशहाली के लिए प्रार्थना भी की। वह पार्टी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ रविवार की सुबह पीर बाबा की मजार पर पहुंची और वहां उन्होंने चादर चढ़ाई।

कई प्रतिनिधिमंडलों से मिलीं : महबूबा मुफ्ती के साथ रविवार को पार्टी मुख्यालय में कई प्रतिनिधिमंडल भी मिले। इनमें माहौर के लोगोंके अलावा, अन्य पिछड़े वगों के लोग और विस्थापित कश्मीरी पंडिता शामिल थे। इन सभी का कहना था कि सरकार उनकी मांगों और समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दे रही है। विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने कहा कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के कार्यालय में उनके बच्चों को रोजगार दिया गया। कई जगहों पर धर्मशालाएं बनाई, मंदिरों का जीर्णाेद्वार किया गया। लेकिन अभी कुछ नहीं हो रहा।


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