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Jammu Kashmir : ईएसआइ की डिस्पेंसरियों में नहीं मिल रही दवाइयां, न हो रहा भुगतान

जम्मू-कश्मीर सरकार के श्रमिकों के प्रति उदासीन रवैये के चलते उन्हें कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइ) योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 05:56 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 05:56 PM (IST)
Jammu Kashmir : ईएसआइ की डिस्पेंसरियों में नहीं मिल रही दवाइयां, न हो रहा भुगतान
Jammu Kashmir : ईएसआइ की डिस्पेंसरियों में नहीं मिल रही दवाइयां, न हो रहा भुगतान

जम्मू, अशोक शर्मा । जम्मू-कश्मीर सरकार के श्रमिकों के प्रति उदासीन रवैये के चलते उन्हें कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइ) योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।जम्मू-कश्मीर में इएसआई की सभी आठ डिस्पेंसरियों में श्रमिकों को ना तो पूरी दबाई मिल रही है और न ही वर्ष 2018 से उनके द्वारा बीमारी पर खर्चे का भुगतान हो रहा है। कोरेाना के इस संकट में भी उन्हें मामूली दवाइयां तक नहीं मिल रही। हालत यह है कि श्रमिक लगातार इलाज के लिए चक्कर काट रहे हैं लेकिन दवाइयां न होने के कारण डिस्पेंसरियों में कार्यरत डाक्टर भी वेबस हैं।जो श्रमिक बाजार से दवाइयां खरीदकर बिल जमा करवाते हैं। उनके वर्षो से बिल ही पास नहीं हो पाए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनकी वेतन से पैसे कटने के बाद भी सरकार उनकी मदद क्यों नहीं कर रही। ऐसे में वह अपना इलाज कैसे करवाएं।

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ईएसआइ के तहत अपनी मां का डायलेसिस करवा रहे सतनाम सिंह ने बताया कि ईएसआइ ने शहर में एक भी ऐसे अस्पताल का पंजीकरण नहीं किया है, यहां डायलेसिस होता हो। एक नारायणा कटड़ा, दूसरा आचार्य श्री चंद्र कालेज ऑफ मेडिकल अस्पताल बत्तरा है। तीसरा अस्पताल नेशनल अस्पताल चट्ठा में है। शहर से बाहर एक श्रमिक द्वारा डायलेसिस करवाना संभव नहीं है। लेकिन ईएसआइ के क्षेत्रीय निदेशक उनकी एक भी सुनने को तैयार नहीं है। डायलेसिस करवाने वाले नीटू सिंह ने कहा कि ईएसआइ द्वारा शहर में डायलेसिस की कोई सुविधा नहीं है। जिसके चलते उन्हें नीजि अस्पताल से डायलेसिस करवाना पड़ता है। जब भी बिल पास करवाने के लिए दिया जाता है तो उसमें अड़गे डाले जाते हैं। जब हमारे वेतन से ईएसआइ को पैसा जाता है तो फिर उन्हें हमें सुविधाएं देने में परेशानी क्यों है। क्या दूसरी इंश्याेरेंस कंपनियों में भी ऐसा होता है। इन लोगों को पता है कि श्रमिक वर्ग उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। इस लिए उन्हें परेशान किया जाता है। ऊपर भी उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। डिस्पेंसरियों में गैस, ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियों की दवाइयां तक नहीं मिल रही। ईएसआइ डिस्पेंसरी में कार्यरत एक डाक्टर ने बताया कि जब तक दवाइयां ईएसआइ कारपोरेशन खरीददती रही है तब तक कोई परेशानी नहीं थी लेकिन जब से राज्य सरकार ने इसका जिम्मा लिया है। मरीज परेशान हैं। उन्हें न तो प्रयाप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं और न ही बिल रिफंड हो रहे हैं। मरीज उन पर नराज होते हैं, लड़ते हैं लेकिन वह क्या कर सकते हैं। जब उन्हें दवाई मिलेगी ही नहीं तो वह मरीज को कहां से देंगे।

ईएसआइ साेसायटी बन गई है, जल्द दूर होंगी परेशानियां

लेबर कमिश्नर रशीद बार ने कहा कि पहले भुगतान केंद्र सरकार ही करती थी। वर्ष 2018 से भुगतान और खरीददारी का जिम्मा राज्य सरकार को सौंप दिया गया। इसके तहत बजट में कोई प्रवधान नहीं था। जिस कारण बजट में पैसा नहीं रखा गया था। जिस कारण न तो दबाइयों की खरीददारी संभव थी और न ही बीमा धारकों को भुगतान कर पाना संभव था।उसके बाद जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया। जिस कारण चीजें तय करने में समय लग गया। अब ईएसआइ सोसायटी का गठन हो चुका है। जिसकी गर्वनिंग बाड़ी एक बैठक हो गई है। जल्द से जल्द यही सोसायटी दवाइयों की खरददारी करेगी और कर्मचारी बीमा योजना के तहत पंजीकृत बीमा धारकों के सभी भुगतान भी करेगी।

क्या है कर्मचारी राज्य बीमा योजना

कम आय वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य लाभ के लिए केन्द्रीय श्रम मंत्रालय ने बीमा योजना उपलब्ध करा रखी है। इसका नाम कर्मचारी राज्य बीमा इएसआई योजना है। इसका फायदा निजी कंपनियों, फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलता है। ईएसआइ के तहत मुफ्त इलाज का लाभ लेने के लिए इएसआइ डिस्पेंसरी अथवा हॉस्पिटल जाना होता है। इसके लिए इएसआइ कार्ड बनता है। कर्मचारी इस कार्ड या फिर कंपनी से लाए गए दस्तावेज के आधार पर स्कीम का फायदा ले सकता है।इस योजना के तहत सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा दी जाती है।

ईएसआइ स्कीम संचालन करने की जिम्मेदारी कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) की है। ईएसआई के दायरे में वे सभी कंपनी और प्रतिष्ठान आते हैं, जहां 10 या इससे ज्यादा कर्मचारी हैं। ईएसआइ का लाभ उन कर्मचारियों को मिलता है, जिनकी मासिक आय 21 हजार रुपये या इससे कम है।


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