फिर ताजा हुई रेजांग ला की लड़ाई की यादें
रेजांग ला की लडाई में कुमाउं रेजीमेंट के जवानों ने चीन की सेना को भारी नुकसान पहुंचाते हुए 11
मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में लड़े कुमाउं रेजीमेंट के जवानों ने कायम की थी वीरता की मिसाल राज्य ब्यूरो, जम्मू : पूर्वी लद्दाख में 57 साल पहले चीन से लड़े गए 1962 के युद्ध में रेजांग ला की लड़ाई में वीरता की मिसाल कायम करने वाले सेना के शहीदों को सोमवार को याद किया गया।
परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में अंतिम व्यक्ति, अंतिम गोली तक लड़े वीरों को सोमवार को रेजांग ला में बने उनके स्मारक पर सेना ने श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना की 13 कुमाउं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 114 सैनिकों ने 18 नवंबर 1962 को अपने से कई गुणा अधिक चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए वीरगति पाई थी। देश के लिए जान देने से पहले भारतीय वीरों ने चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया था। यह एतिहासिक लड़ाई भारतीय सेना के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
सोमवार को पूर्वी लद्दाख में सेना की 14 कोर की चुशुल ब्रिगेड के कार्यक्रम में रेजांग ला युद्ध स्मारक में कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह ने सेना के इन शहीदों को सलामी दी। इस मौके पर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्षेत्र के कई पूर्व सैनिक भी मौजूद थे। सेना हर साल 18 नवंबर को रेजांग ला की लड़ाई की वर्षगांठ को जोरशोर से मनाती है।