खंडहरों में सिसक रही जिदगी, नगर निगम की नहीं टूट रही नींद
खंडहरों में सिसक रही जिदगी
अवधेश चौहान, जम्मू
मंदिरों के शहर जम्मू में बाबा आदम जमाने की जर्जर खाली पड़ी इमारते खतरे से खाली नहीं हैं। इनमें रहने वाले लोग इन्हें वर्षों पहले त्याग चुके हैं। भीड़भाड़ भरे इलाकों में यह खाली खंडहर कभी भी धराशाही हो सकते हैं। कुछ खंडहरों आधे अधूरे तौर पर गिर चुके हैं और बाकी का बचा हिस्सा गिरने के इंतजार में है। विडंबना यह है कि नगर निगम अभी नींद से नहीं जागा है। खंडहर हो चुके मकानों के आसपास के लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। न तो मालिक मकान को पूरा गिराकर मलबा उठाता है और न ही निगम इस दिशा में कोई कदम उठा रहा है। कोर्ट के निर्देश के बाद भी नगर निगम ऐसे खंडहरों और अवैध रूप से बन कर तैयार इमारतों का सर्वे नहीं करवा पाया है।
कानूनी तौर पर देखा जाए तो अवैध तथा असुरक्षित इमारतों को तोड़ने के लिए नगर निगम लोगों की शिकायत के बाद ही कार्रवाई करता है। ऐसे मकान मालिकों को एक बार नहीं, तीन बार नोटिस जारी करता है। जिसमें उन्हें बिल्डिग तोड़ने को कहता है। लेकिन अधिकतर मकान मालिक नोटिस का जवाब नहीं देते। इनमें से तो कुछ विदेश में रह रहे हैं। इसके अलावा भी नगर निगम के पास विकल्प हैं। जब कोई मकान मालिक नोटिस का जवाब नहीं देता तो निगम के पास अधिकार है कि वह अपने तौर पर भी असुरक्षित घोषित इमारतों को गिरा सकता है, लेकिन गिराने के दौरान जो खर्चा आएगा उसे मकान मालिक को ही देना होता है। लेकिन नगर निगम असुरक्षित मकानों को अपनी ओर से गिराने में लाखों रुपये फंसाना नहीं चाहता। ---
कारपोरेटरों की भी नही सुन रहा नगर निगम
जनरल हाउस में निगम के कारपोरेटर भी खस्ताहाल इमारतों का मसला उठा चुके हैं। इन इमारतों के मालिकों को नोटिस जारी करने के फैसले के विपरीत स्थिति जस की तस बनी हुई है। बेशक कोर्ट ने भी असुरक्षित और अवैध इमारतों का सर्वे करने के लिए नगर निगम को निर्देश दिए हैं, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। निगम की जनरल हाउस की बैठक में भी कॉरपोरेटर बार-बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि अधिकारियों के मौका देखने और निर्माण रुकवाने के निर्देशों के बावजूद कई इमारतें धड़ल्ले से बन रही हैं। 500 के करीब ऐसी इमारतों के निर्माण के दावे निगम के जनरल हाउस में किए गए हैं।
--------------- 'फिलहाल शहर में कोई ऐसा सर्वे नहीं करवाया गया है, जिसमें पता चले कि कितनी असुरक्षित इमारतें हैं। अवैध निर्माण रोकने और असुरक्षित इमारतों की निशानदेही के लिए निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। पिछले कुछ महीनों में दर्जन से ज्यादा अवैध इमारतों का काम रुकवाया गया। इन्हें तोड़ा भी गया। निगम सख्ती बरत रहा है। '
-प्रेम सिंह, असिस्टेंट कमिश्नर, जम्मू नगर निगम