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जम्मू-कश्मीर के दूसरे उपराज्यपाल के रूप में सिन्हा ने ली शपथ, कहा-विकास, विश्वास बहाली, आतंकवाद उनके मुख्य लक्ष्य

आतंकवाद के खिलाफ जारी अभियान को तेज किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति कायम करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 01:27 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 02:20 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर के दूसरे उपराज्यपाल के रूप में सिन्हा ने ली शपथ, कहा-विकास, विश्वास बहाली, आतंकवाद उनके मुख्य लक्ष्य
जम्मू-कश्मीर के दूसरे उपराज्यपाल के रूप में सिन्हा ने ली शपथ, कहा-विकास, विश्वास बहाली, आतंकवाद उनके मुख्य लक्ष्य

श्रीनगर, जेएनएन। भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने आज श्रीनगर राजभवन में केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश के दूसरे उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ग्रहण कर ली है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। सिन्हा पहले उपराज्यपाल जीसी मुर्मू का इस्तीफा मंजूर होने के बाद गत वीरवार दोपहर को ही नई कमान संभालने के लिए श्रीनगर पहुंच गए थे। केंद्र सरकार ने पहले उपराज्यपाल जीसी मुर्मू को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) नियुक्त किया है। 

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शपथ ग्रहण करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सिन्हा ने कहा कि कश्मीर भारत का स्वर्ग है, मुझे यहां भूमिका निभाने का अवसर दिया गया है। 5 अगस्त एक महत्वपूर्ण तारीख है, जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा में शामिल हुआ है। सालों बाद यहां कई परियोजनाएं शुरू हुईं, मेरी प्राथमिकता उन परियोजनाओं को आगे ले जाना होगा। 

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की आम जनता में विश्वास बहाली, आतंकवाद को समाप्त करना उनके मुख्य लक्ष्यों में शामिल है। आम जनता में सरकार के प्रति विश्वास मजबूत करने के लिए वह उनसे सीधी बात करने का प्रयास करेंगे। इस पर जल्द ही काम शुरू होगा। आम जनता अपनी परेशानियों को लेकर उन तक सीधा पहुंचे, इसकी व्यवस्था की जाएगी। आतंकवाद के खिलाफ जारी अभियान को तेज किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति कायम करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाया कि उन्हें सरकार की कार्यप्रणाली में किसी तरह का भेदभाव नजर नहीं आएगा। हरेक से सामान व्यवहार किया जाएगा। सरकारी अधिकारियों को भी इस विकास योजनाओं में तेजी लाने की हिदायत दे दी गई है।

आपको जानकारी हो कि गिरीश चंद्र मुर्मू के इस्तीफे के बाद वीरवार को ही 61 वर्षीय पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल बनाने पर मुहर लगा दी गई थी। मनोज सिन्हा दोपहर बाद श्रीनगर भी पहुंच गए थे। अनुच्छेद 370 की समाप्ति का एक साल पूरा होते ही जीसी मुर्मू के अचानक इस्तीफे ने जितना हैरान किया, उतना ही मनोज सिन्हा की नियुक्ति ने सभी को चौंकाया भी, क्योंकि बुधवार देर रात तक उनके नाम का कोई जिक्र नहीं था। अलबत्ता, वीरवार सुबह राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक आदेश के साथ ही सभी कयास बंद हो गए।

मनोज सिन्हा गत वीरवार दोपहर करीब पौने दो बजे दिल्ली से श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंचे। जहां जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने उनकी आगवानी की। उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया। इसके बाद सिन्हा ने कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों के साथ चंद मिनटों की एक बैठक कर हालात को समझा।

जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने गत बुधवार देर शाम को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजा था। उनके इस्तीफे के बाद पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक अशोक प्रसाद, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार के नाम अगले उपराज्यपाल के तौर पर लिए जा रहे थे। अलबत्ता, सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जीसी मुर्मू के इस्तीफे पर मुहर लगाते हुए मनोज सिन्हा के रूप में नए उपराज्यपाल के नाम का उल्लेख किया तो सभी हैरान थे।

नए उपराज्यपाल के समक्ष चुनौतियां : मनोज सिन्हा को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में जनता-प्रशासन के बीच संवाद व संपर्क को बढ़ाते हुए राजनीतिक माहौल तैयार करने के एजेंडे के साथ ही नियुक्त किया है। उनके लिए जम्मू कश्मीर में राजनीतिक प्रक्रिया बहाली की जमीन तैयार करते हुए सुरक्षा परिदृश्य में लगातार सुधार लाना और मरनासन्न आतंकवाद को पूरी तरह से मिटाना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी। उन्हें कोविड-19 से पैदा हालात में जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और विकास योजनाओं को गति देने की कठिनाइयों से भी पार पाना पड़ेगा।

सिन्हा प्रशासन चलाने के साथ सियासी मुद्दों पर भी करेंगे बात : कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ आसिफ कुरैशी ने कहा कि जीसी मुर्मू को बयानबाजी में यकीन नहीं था और वह एक नौकरशाह थे। मनोज सिन्हा भी जम्मू कश्मीर के अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक की तरह एक सियासतदान हैं और यह यहां प्रशासन चलाने के अलावा सियासी मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे। उन्हेंं हल करने का प्रयास करेंगे। केंद्र ने उन्हेंं इसी मकसद से भेजा है। वह जीसी मुर्मू की तरह चुपचाप रहकर काम नहीं करेंगे बल्कि सत्यपाल मलिक की तरह सक्रिय रहेंगे।

कौन हैं मनोज सिन्हा : मनोज सिन्हा तीन बार उत्तर प्रदेश के गाजीपुर संसदीय क्षेत्र के सांसद रह चुके हैं। वह केंद्रीय रेल राज्यमंत्री भी रहे हैं। उन्हेंं उत्तर प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं में गिना जाता रहा है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में जब भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की तो उन्हेंं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी चर्चा हुई थी। हालांकि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक की पढ़ाई की है। भाजपा से संबंधित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से सियासी सफर शुरू करने वाले मनोज सिन्हा वर्ष 2019 में संसदीय चुनाव हार गए थे। उन्हेंं गाजीपुर का विकास पुरुष भी कहा जाता है। बता दें कि 1996 में वे पहली बार गाजीपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन 1998 का लोकसभा चुनाव हार गए। हालांकि, 13 महीने के बाद जब दोबारा 1999 में चुनाव हुआ तो दूसरी बार जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद करीब 15 साल तक वह चुनाव नहीं जीत सके। इसके बाद वह 2014 लोकसभा चुनाव में तीसरी बार मोदी लहर पर सवार होकर संसद पहुंचे।


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