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Jammu Kashmir : महाराजा हरि सिंह की दूरदर्शी सोच ने जम्मू-कश्मीर को दी अलग पहचान

जम्मू-कश्मीर के इतिहासकार कृपाल सिंह ने कहा कि महाराजा हरि सिंह ने वर्ष 1931-32 के दौरान एक कानून बनाकर दलितों के लिए मंदिर कुएं तालाब स्कूल कालेज खोल दिए। वह कहते थे कि किसी के साथ जातिवर्ण के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 09:19 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 09:19 AM (IST)
Jammu Kashmir : महाराजा हरि सिंह की दूरदर्शी सोच ने जम्मू-कश्मीर को दी अलग पहचान
1947 से पूर्व जम्मू कश्मीर हिन्दोस्तान के उन गिने चुने राज्यों में एक था जहां बिजली घर था।

श्रीनगर, नवीन नवाज : जम्मू-कश्मीर में आज अगर बाल विवाह की कुरीति नहीं है, अगर मंदिरों में कोई दलित अन्य लोगों के साथ पूजा कर रहा है और बिना किसी पक्षपात के सरकारी विभाग में रोजगार मिल रहा है तो इसका श्रेय अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह को जाता है। जीवन का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र रहा होगा, जहां उनकी प्रगतिशील विचारधारा और दूरदृष्टि ने अपना प्रभाव न छोड़ा हो। आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर में बीते साल त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था बहाल हुई, लेकिन 1947 में आजादी से पूर्व महाराजा ने जम्मू-कश्मीर में पंचायत अधिनियम को लागू कर दिया था।

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जम्मू-कश्मीर के इतिहासकार कृपाल सिंह ने कहा कि महाराजा हरि सिंह ने वर्ष 1931-32 के दौरान एक कानून बनाकर दलितों के लिए मंदिर, कुएं, तालाब, स्कूल कालेज खोल दिए। वह कहते थे कि किसी के साथ जाति,वर्ण के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर किसी कक्षा में दलित छात्र है तो उसके साथ किसी तरह का अनुचित व्यवहार नहीं होना चाहिए, उसे उच्चजाति के छात्रों के समान समझा जाए। अगर कोई सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करता तो उसकी योग्यता देखें जात नहीं। मंदिरों में दलितों के प्रवेश के आदेश पर कुछ लोगों जिसमें जम्मू के बड़े धर्मगुरु जो रघुनाथ मंदिर से थे, ने महाराजा से आदेश वापस लेने के लिए कहा था,लेकिन महाराजा ने मना कर दिया। 14 साल से कम आयु की लड़की और 18 साल से कम आयु के लड़के की शादी अपराध घोषित की।

वैश्यावृत्ति रोकने के लिए बनाए कानून : एडवोकेट अजात जम्वाल ने कहा कि आज अक्सर अलगाववादी तत्व कहते हैं कि डोगरा शासकों ने कश्मीर में वैश्याओं पर टैक्स लगाया था। यह तो वैश्यावृत्ति रोकने के लिए था। उन्होंने महिलाओं के अपहरण और उन्हें वैश्यावृत्ति में धकेलने के दोषियों के लिए सात साल की सजा और सार्वजनिक स्थान पर कोड़े मारने का कानून 1929 में बनाया था। हमने सुना है कि महाराजा पटियाला ने उनके सम्मान में एक समरोह में नतर्की को नचाते हुए उन्हें बताया कि यह कश्मीर की है। महाराजा हरि सिंह ने भरे समारोह में उन्हें फटकार लगाते हुए कहा था कि यह मेरी बेटी जैसी हैं। इसके बाद उन्होंने महाराजा पटियाला के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। लद्दाख के बौद्ध समुदाय में एक ही परिवार के तीन से चार पुरुषोें द्वारा एक ही महिला से शादी करने की प्रथा थी, को भी खत्म कराया था।

साजिश के तहत विद्रोह कराया : इतिहास विभाग के पूर्वाध्यक्ष प्रो. हरिओम ने बताया महाराजा हरि सिंह ने वर्ष 1935 में पंचायत अधिनियम लागू किया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर बैंक भी स्थापित किया था। भारत विलय पर हरि ओम ने कहा कि 1930 में लंदन में गोलमेज सम्मेलन महाराजा ने कहा था कि आल इंडिया फेडरेशन के गठन की स्थिति में उसमें शामिल होने वाली जम्मू कश्मीर पहली रियासत होगी। अंग्रेजों ने ही एक साजिश के तहत 1931 में महाराजा के खिलाफ विद्रोह कराया था। इसके बाद महाराजा को गिलगित बालटिस्तान का इलाका 50 साल की लीज पर 1935 में अंग्रेजों को देना पड़ा था।

जबरी स्कूल में अनिवार्य थी शिक्षा : लेखक व कश्मीरी साहित्यकार हसरत गड्डा ने कहा कि अगर आप कश्मीर के बुजुर्गों से मिलेंगे तो उनमें से अधिकांश जबरी स्कूल के छात्र होंगे। आप पूछेंगे कि यह जबरी स्कूल क्या था तो आपको बता दूं कि महाराजा ने यहां प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य की थी। बच्चों को पकड़ कर स्कूल ले जाया जाता था। बच्चों को वजीफा भी मिलता था। साफ-सफाई रखने के लिए समझाया जाता था।

पत्रकार बिलाल ने कहा कि आज आप भूमि सुधारों की बात करते हैं, महाराजा ने इनकी शुरूआत की थी। उन्होंने खेती की जमीन किसी दस्तकारी को दिया था बढ़ावा गैर किसान को बेचने और खेती के अलावा किसी अन्य काम के लिए उसके इस्तेमाल पर रोेक लगाई थी। साहूकारी की प्रथा पर काबू पाया। कश्मीर की दस्तकारी को बढ़ावा देने के लिए जम्मू कश्मीर एंपोरियम स्थापित किया। 1947 से पूर्व जम्मू कश्मीर हिन्दोस्तान के उन गिने चुने राज्यों में एक था जहां बिजली घर था। उड़ी में मोहरा बिजली घर सुबूत हैं। 


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