Militancy in Kashmir: मजबूत सुरक्षा तंत्र से आतंकियों की घुसपैठ में 70 फीसद कमी
Militancy in Kashmir वर्ष 2018 के बाद युवाओं के आतंकवाद में शामिल होने के मामलों में कमी आई है। वर्ष 2020 में भी आतंकवादियों की भर्ती पर नकेल रही। कश्मीर में पिछले छह महीनों में आतंकी बने 17 युवा मुख्यधारा में वापस लौटे हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की चिनोर कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने रविवार को कहा कि मजबूत सुरक्षा तंत्र से घुसपैठ की घटनाओं में 70 फीसद की कमी आई है। इस समय हम सरकार के साथ मिलकर भटके युवाओं को मुख्याधारा में लाने के लिए आत्मसमर्पण नीति पर काम कर रहे हैं। यह नीति बहुत अहम साबित होगी।
श्रीनगर में प्रेस वार्ता में लेफ्टिनेंट बीएस राजू ने आतंकियों झांसे में फंसे युवकों को मुख्यधारा में लौटने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि भटके युवा बिना घर वापसी के लिए हिचक के अपने परिजनों, सेना या किसी के साथ इस संबंध में संपर्क कर सकते हैं। सेना गुमराह युवाओं की घर वापसी में हर संभव सहयोग देगी।
उन्होंने बताया कि इस समय मुठभेड़ के दौरान भी युवाओं को हथियार डालने के लिए प्रेरित कर रही है। इसके लिए परिवारों की मदद ली जाती है। मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों को तभी मारा जाता है जब कोई विकल्प नहीं बचता है। कश्मीर में आतंकवाद में आई कमी का हवाला हुए कोर कमांडर ने कहा कि इस समय कश्मीर में सिर्फ 217 आतंकवादी ही सक्रिय हैं।
यह आंकड़ा पिछले एक दशक में यह सबसे कम है। वर्ष 2018 के बाद युवाओं के आतंकवाद में शामिल होने के मामलों में कमी आई है। वर्ष 2020 में भी आतंकवादियों की भर्ती पर नकेल रही। कश्मीर में पिछले छह महीनों में आतंकी बने 17 युवा मुख्यधारा में वापस लौटे हैं। सीमा पर सुरंगें मिलना बड़ी चुनौती कोर कमांडर ने घुसपैठ, हथियार भेजने के लिए सीमा पर सुरंगों, ड्रोन के इस्तेमाल को एक बड़ी चुनौती बताया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी साजिश को नाकाम बनाने के लिए हमारे पास आधुनिक तकनीक है। हम नियंत्रण रेखा पर मजबूत हैं। यही कारण है कि पिछले साल के मुकाबले घुसपैठ काफी कम हो गई है। वरिष्ठ अधिकारी हालात पर पैनी नजर रखते हैं।