Jammu Kashmir: 21 अप्रैल को मनाया जाएगा भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव, नवरात्र का भी होगा समापन
श्रीराम जी का पूजन का समय सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस दिन नवरात्रि के अंतिम दिन भी होगा। इस दिन मां दुर्गा के नाैवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा भी होगी।
जम्मू, जागरण संवाददाता : Ram Navami 2021: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी का जन्मोत्सव बुधवार 21 अप्रैल को मनाया जाएगा। इसके अलावा नवरात्र का भी समापन होगा। हालांकि कोरोना के चलते लोगों ने अधिकतर कार्यक्रम घरों में ही करने की तैयारियां कर रखी हैं लेकिन मंगलवार को मंदिरों में भी सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया।
श्रीराम जी का पूजन का समय सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 01 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस दिन नवरात्रि के अंतिम दिन भी होगा। इस दिन मां दुर्गा के नाैवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा भी होगी।महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि भगवान श्री विष्णु जी ने धर्म की स्थापना और अधर्म के समूल नाश के लिए त्रेतायुग में धरती पर मनुष्य रूप में अवतार लिया था। भगवान विष्णु के अन्य अवतारों में से एक अवतार त्रेता युग में सरयू नदी के तट पर बसी अयोध्या नगरी में सूर्यवंश कुल के राजा दशरथ की महारानी कौशल्या के गर्भ से चैत्र मास की नवमी तिथि अभिजीत मुहूर्त में राम जी ने जन्म लिया था।तब से लेकर आज तक चैत्र मास की नवमी तिथि को ही श्रीरामनवमी पर्व मनाया जाता है।
भगवान श्रीराम की मर्यादा व व्यवहार को भी जीवन में उतारने पर चिंतन मनन हमें करना होगा।कोविड प्रोटोकाल के पालन करते हुए श्रीरामनवमी का पर्व मनाते हुए घर पर पूजन, भजन-कीर्तन, दान आदि करें। वर्तमान में पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। हमें इस महामारी पर उसी प्रकार विजय प्राप्त करना है जैसे भगवान श्रीराम जी ने संकटों पर विजय प्राप्त की थी। हमें भगवान राम की तरह ही अनुशासित आचरण अपनाना होगा। अनुशासन से ही कोरोना महामारी और हमारे संकट परास्त होंगे। इस दिन रामचरित मानस, रामाष्टक और रामरक्षा स्त्रोत आदि का पाठ करने से अभीष्ठ फल की प्राप्ति होती है।
भगवान श्रीराम पूजन विधि शारीरिक शुद्धता के साथ ही मन की पवित्रता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस दिन सुबह स्नान कर पूजा के कमरे या घर में किसी शुद्ध स्थान पर एक साफ चौकी पर श्रीगणेश, श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण एवं श्रीहनुमान की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद पूरे कमरे में एवं चौकी पर गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश, घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। उसमें उपस्थित देवी-देवता, नवग्रहोंएतीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करनी चाहिए। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक मंत्रों द्वारा चौकी पर स्थापित समस्त देवी देवताओं की पूजा करें।