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लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराना बड़ी चुनौती

राज्य ब्यूरो, जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार क

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 03:30 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 03:30 AM (IST)
लोकसभा व विधानसभा चुनाव   एक साथ कराना बड़ी चुनौती
लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ कराना बड़ी चुनौती

राज्य ब्यूरो, जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि रियासत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती है। अगर चुनाव एक साथ नहीं होते हैं तो पूरे देश में यही संदेश जाएगा कि राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की कारगुजारियों और केंद्र में भाजपा की नीतियों के चलते जम्मू कश्मीर के हालात चुनावों कराने लायक नहीं रहे हैं। दक्षिण कश्मीर के शांगस अनंतनाग में पार्टी कार्यर्ताओं की बैठक के बाद पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में उमर ने कहा कि बेशक यहां पीडीपी और भाजपा कहे कि वह चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार हैं। दोनों ही दल रियासत में चुनाव टालने के लिए दिल्ली से आग्रह कर रहे हैं। इन दलों ने रियासत में जनाधार गंवाया है। कश्मीर में पीडीपी और जम्मू संभाग में भाजपा की स्थिति कमजोर हुई है। दोनों चाहते हैं कि यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग अलग समय पर हों। रियासत के लोग चाहते हैं कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव जल्द हों। अगर प्रधानमंत्री यह चुनाव टाल देते हैं तो पूरे देश में यही संदेश जाएगा कि भाजपा के शासनकाल में जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था चरमरा गई है। रियासत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराना प्रधानमंत्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय ने भी अपने एक फैसले में कहा है कि किसी भी राज्य में जहां राष्ट्रपति शासन लागू हो,वहां छह माह के भीतर विधानसभा चुनाव कराया जाना जरूरी है। उमर ने राज्य में सत्तासीन रही पीडीपी-भाजपा की गठबंधन सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि यह गठजोड़ सिर्फ कुर्सी की खातिर था इसलिए टूट गया। यह गठजोड़ रियासत की विशिष्ट पहचान, जम्मू कश्मीर के लोगों के अधिकारों और उनकी पहचान को मिटाने के लिए था। आज भी रियासत की दुश्मन ताकतें जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को तबाह करने में लगी हैं,लेकिन हम इन ताकतों को नाकाम बनाएंगे। हमारे लिए राज्य की स्वायत्तता, धारा 370 और धारा 35ए ही सबसे ज्यादा अहम है। आने वाले चुनाव राज्य की पहचान के लिए बहुत अहम हैं। यह चुनाव कश्मीर की हिफाजत करने वालों और कश्मीर के दुश्मनों के बीच जंग के समान होंगे।

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