Lockdown Effect: लॉकडाउन ने डेयरी किसानों की दिक्कतों को बढ़ाया, नहीं बिक रहा दूध
वहीं सौहांजना के किसान सूरज मनी के घर रखी गायों से प्रतिदिन 20 लीटर दूध मिल जाता है। लेकिन इसमें से 7 लीटर ही शहर में लग पा रहा है। बाकी दूध बच रहा है। समझ नही आता कि किसे दूध बेचने जाएं। दुकानदार ज्यादा दूध उठाने को तैयार नही।
जम्मू, जागरण संवाददाता: काेरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने डेयरी किसानों की दिक्कतों को बढ़ा दिया है। बाजार में दूध पूरा नही लग पाने के कारण नुकसान हो रहा है। ऐसे में डेयरी किसानों के घरों में ही अधिकांश दूध बच रहा है। हालांकि लॉकडाउन में दूध वितरण व सुबह 11 बजे तक दुकानें खोलने की छूट पहले ही दी हुई है। मगर इसके बावजूद भी माल बिक नही पा रहा।
दुकानदार ज्यादा दूध नहीं भर रहे। उनका कहना है कि अब पहले ही तरह दूध की बिक्री नही होती। इन बनी परिस्थितियों से उभरने के लिए कुछ किसानों ने दूध का पनीर या मक्खन बनाने में भी शुरू किया हुआ है। लेकिन इसकी बिक्री के लिए भी उनको कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। मीरां साहिब के किसान संदीप का कहना है कि जब दूध ही नही बिकगा तो डेयरी किसान कैसे खर्च पूरे कर पाएगा। क्योंकि अब कैटल फीड का हर बैग 100 रुपये महंगा हो चुका है।
वहीं सौहांजना के किसान सूरज मनी के घर रखी गायों से प्रतिदिन 20 लीटर दूध मिल जाता है। लेकिन इसमें से 7 लीटर ही शहर में लग पा रहा है। बाकी दूध बच रहा है। समझ नही आता कि किसे दूध बेचने जाएं। दुकानदार ज्यादा दूध उठाने को तैयार नही।
किसानों ने सरकार से मांग की है कि जब बाकी कृषि उत्पाद के लिए सरकार के पास न्यूनतम समर्थन मूल्य है तो दूध उत्पादक किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य क्यों नही हैं। पूरे मामले को लेकर अब किसान उप राज्यपाल को पत्र लिखने जा रहे हैं।