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पुलवामा में हिजबुल के एक आतंकी ने किया आत्मसमर्पण, सामान्य जिंदगी जीने का लिया फैसला

पुलिस ने आदिल को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए उसके परिजनों की मदद ली और वह वापिस लाैट आया। पुलिस ने इसकी पुष्टि भी की है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 05:40 PM (IST)
पुलवामा में हिजबुल के एक आतंकी ने किया आत्मसमर्पण, सामान्य जिंदगी जीने का लिया फैसला
पुलवामा में हिजबुल के एक आतंकी ने किया आत्मसमर्पण, सामान्य जिंदगी जीने का लिया फैसला

श्रीनगर, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद घाटी में हो रहे बदलाव को देख एक और आतंकवादी ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में वापसी की है। वीरवार को हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी ने पुलवामा में सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण करते हुए पुरानी सामान्य जिंदगी जीने का फैसला लिया। आत्मसमर्पण करने वाले इस आतंकी की पहचान आदिल अहमद मीर के तौर पर हुई और वह 19 जुलाई 2019 को हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन में शामिल हुआ था।

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कश्मीर के युवाओं को गुमराह कर आतंकी संगठनों में शामिल करने के पाकिस्तान के मंसूबों को विफल बनाने के लिए सेना ने एक साल पहले आपरेशन मां शुरू किया था। पुलवामा हमले के बाद चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लो ने कश्मीर में गुमराह हो चुके युवाओं की माताओं से आग्रह किया था कि वे अपने बच्चों को आतंक की राह छोड़ मुख्यधारा में शामिल करने के लिए अपील करें। उनके इस प्रयास का कश्मीर में बड़े पैमाने पर असर देखने को मिला। एक साल के भीतर 60 से अधिक युवा आतंकवाद का रास्ता छोड़ अपनी मां की पुकार पर वापिस घर लौट आए हैं।

वीरवार को मुख्यधारा में शामिल होने वाले युवा आदिल भी इसी आपरेशन के बाद वापिस लौटे हैं। पुलिस ने आदिल को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए उसके परिजनों की मदद ली और वह वापिस लाैट आया। पुलिस ने इसकी पुष्टि भी की है।

क्या है सेना का आपरेशन मां

आपरेशन मां में घरों से गायब हो चुके युवाओं का पता लगाकर उनके परिजनों से संपर्क कर उन्हें वापस घर बुलाया जाता है। कई बार तो मुठभेड़ के दौरान भी सेना को जब यह जानकारी मिलती है कि घिरे हुए आतंकी स्थानीय हैं, तो सेना उनकी मां या अन्य परिजनों को मुठभेड़ स्थल पर लाकर उनसे अपने बच्चों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहते हैं। सैन्य अधिकारी भी मानते हैं कि आपरेशन मां के काफी सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।

कई बार बीच में रोकी मुठभेड़

सेना की चिनार कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लो का कहना है कि अपनी मातृभूमि की सेवा करो। अपनी मां और पिता की सेवा करो। इस संदेश ने सभी को प्रेरित किया। कई अभिभावकों के उन्हें संदेश भी आए और यही उनके लिए सबसे बड़ा तोहफा है। यही कारण है कि सेना ने कई बार बीच में ही मुठभेड़ रोकी, ताकि गुमराह हुए इन युवकों को आत्मसमर्पण के लिए मौका दिया जा सके।

आतंकी संगठनों-पाकिस्तान में है बौखलाहट

जीओसी केजेएस ढिल्लों ने बताया कि आत्मसमर्पण कर चुके कई युवा अपने पिता का कामकाज में हाथ बंटा रहे हैं। कई खेतों में भी काम कर रहे हैं। कश्मीर के युवाओं में इस तरह का बदलाव देख आतंकी संगठन ही नहीं पाकिस्तान भी बौखलाया हुआ है। वो इन युवाओं को निशाना न बनाए इसके लिए अकसर इनकी पहचान छुपाई जाती है।


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