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साहित्यकारों-कलाकारों ने कहा जब तक डुग्गर चैनल नहीं मिलता, बंद नहीं होने देंगे जम्मू दूरदर्शन

डोगरी संस्था और टीम जम्मू ने साफ किया कि प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह जो धरती पुत्र हैं। समस्या को समझने के बजाए टाइम स्लाट के नाम से गुमराह कर रहे हैं

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 06:33 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 06:33 PM (IST)
साहित्यकारों-कलाकारों ने कहा जब तक डुग्गर चैनल नहीं मिलता, बंद नहीं होने देंगे जम्मू दूरदर्शन

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू दूरदर्शन को काशिर चैनल की झोली में डालने पर कलाकाराें, साहित्यकाराें, बुद्धिजीवियों, दर्शकों का रोष बढ़ता ही जा रहा है। विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठनों में साफ किया है कि जब तक जम्मू को डुग्गर चैनल नहीं मिलता। जम्मू दूरदर्शन को उसी तरह चलने दिया जाए जैसे पहले चलता था। इतना ही नहीं इसका बजट भी बढ़ाया जाए ताकि नियमित नए कार्यक्रमों का प्रसारण हो सके। जम्मू दूरदर्शन डुग्गर के लोगों की बात करने का एक मात्र माध्यम था लेकिन उसे काशिर चैनल के हवाले कर डोगरों की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

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डोगरी संस्था और टीम जम्मू ने साफ किया कि प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह, जो धरती पुत्र हैं। समस्या को समझने के बजाए टाइम स्लाट के नाम से गुमराह कर रहे हैं। उनका कहना है कि डोगरों की अपनी पहचान है। अपनी संस्कृति अपनी जीवन शैली है। जो कश्मीर से मेल नहीं खाती। काशिर चैनल से जम्मू खित्ते की आवाज संभव ही नहीं है। जम्मू के लोग शुरू से ही डुग्गर चैनल की मांग करते रहे हैं। जम्मू दूरदर्शन पूर्ण चैनल है। उसे काशिर चैनल में शामिल करने का कोई औचित्य ही नहीं है। एक सोची समझी साजिश के तहत जम्मू दूरदर्शन को खत्म किया जा रहा है। पहले इसका बजट कम कर दिया गया। उसके बाद लगातार पुराने कार्यक्रमों का प्रसारण करना शुरू कर दिया ताकि लोगों का रुझान इस ओर न रहे। पिछले पांच वर्षो से यह साजिश चल रही थी। डोगरो को गुमराह किया जा रहा है। यह सहन नहीं किया जाएगा।

सांस्कृतिक संगठन भारती कला संगम के निदेशक रमेश चिब ने कहा कि जब तक काशिर चैनल की तरह जम्मू को डुग्गर चैनल नहीं मिल जाता। उनका विरोध जारी रहेगा। जम्मू दूरदर्शन जैसे पहले चलता था। उसी तरह चलता रहे। उसका बजट भी बढाए जाने की जरूरत है। किसानों के लिए जो कार्यक्रम चलते थे। उसी तरह चलते रहने चाहिए। जम्मू के लोगों से दूरदर्शन छीनने के बजाए उन्हें बेहतर से बेहतर और ज्यादा से ज्यादा समय देने की जरूरत है।

वरिष्ठ साहित्यकार डा. अशोक कुमार ने कहा कि डुग्गर चैनल के लिए सभी साहित्यकार एक जुट हैं और जिस तरह डोगरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए आंदोलन हुए थे उसी तरह फिर से सड़कों पर आने को तैयार हैं। जम्मू के साथ भेदभाव उसी तरह जारी है जैसे पहले था। उल्टा केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उनकी सुनने वाला कोई नहीं रहा। जिस तरह के आश्वासन दिए जा रहे हैं। उनका कोई मतलब नहीं है। सीधी बात यह है कि जम्मू के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ हो रही है। 


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