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जम्मू व श्रीनगर में दौड़ेगी लाइट मेट्रो, राइट्स से हुआ समझौता, पहले चरण में 25 किलोमीटर तक चलेगी

फिलहाल दोनों शहरों में पहले चरण के तहत करीब 25 किलोमीटर तक लाइट मेट्रो चलाने की योजना है। यह पूरा प्रोजेक्ट मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथारिटी की देखरेख में पूरा होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 11:27 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 11:27 AM (IST)
जम्मू व श्रीनगर में दौड़ेगी लाइट मेट्रो, राइट्स से हुआ समझौता, पहले चरण में 25 किलोमीटर तक चलेगी
जम्मू व श्रीनगर में दौड़ेगी लाइट मेट्रो, राइट्स से हुआ समझौता, पहले चरण में 25 किलोमीटर तक चलेगी

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू और श्रीनगर में लाइट मेट्रो चलाने के सपने साकार करने के लिए कदमताल शुरू हो गई है। सोमवार को इकोनामिक रिकंस्ट्रक्शन एजेंसी (ईरा) ने केंद्र सरकार की उद्यम राइट््स लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए। राइट्स लिमिटेड जम्मू व श्रीनगर के लिए व्यापक गतिशील योजना (सीएमपी), वैकल्पिक विश्लेषण योजना (एएआर) और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगी।

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नई मेट्रो पालिसी 2017 और मेट्रोलाइट पॉलिसी 2019 के तहत यह समझौता हुआ। ईरा की चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर अवनी लवासा ने जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए। राइट्स की तरफ से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष कंसल समझौते में शामिल हुए। इस मौके पर मास रैपिड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन जम्मू और श्रीनगर के मैनेजिंग डायरेक्टर कुमार राजीव रंजन, जम्मू विकास प्राधिकरण के डीएलएम संजय गुप्ता, ईरा जम्मू के डायरेक्टर बचन लाल भगत, जम्मू के सीनियर टाउन प्लानर अनिल रैना, ईरा के सीईओ के टीओ पीपी अरोड़ा, इंचार्ज डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर लोकेश गुप्ता व वरिष्ठ वास्तुकार रमण शर्मा मौजूद थे। समझौते के बाद राइट्स लिमिटेड जम्मू व श्रीनगर शहर के लिए काम करना शुरू कर देगी।

फिलहाल दोनों शहरों में पहले चरण के तहत करीब 25 किलोमीटर तक लाइट मेट्रो चलाने की योजना है। यह पूरा प्रोजेक्ट मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथारिटी की देखरेख में पूरा होगा। न्यू टाउनशिप के तहत अगले 50 वर्षों के लिए दोनों शहरों में ट्रांसपोर्ट जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के तहत इस लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट को शुरू करने का प्रस्ताव है। डीपीआर तैयार होने के बाद इसे अथारिटी के बोर्ड के सामने रखा जाएगा और वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे राज्य कैबिनेट, मौजूदा समय में प्रदेश प्रशासनिक समिति के सामने रखा जाएगा। अगर डीपीआर को राज्य स्तर पर हरी झंडी मिल जाती है तो अंतिम मंजूरी के लिए इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। 10 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में केंद्र व राज्य के वित्तीय जिम्मेदारी तय होने के साथ ही इस पर काम शुरू हो जाएगा। दोनों शहरों में इसके लिए पहले चरण में दो-दो कॉरिडोर बनाए जाएंगे और करीब 25-25 किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा। पहले चरण के सफलतापूर्वक चलने के बाद ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा। पहले चरण का काम पूरा होने में करीब पांच साल का समय लगेगा। नई डीपीआर में कुछ बदलाव होने की संभावनाएं रहेंगी।

श्रीनगर में बनेंगे 24 स्टेशन

श्रीनगर में 12.5 किलोमीटर के दो कॉरिडोर बनेंगे। दोनों में 12-12 स्टेशन होंगे। एक कॉरिडोर एचएमटी (शालटेंग) से शुरू होगा और सेना की 15 कोर मुख्यालय के निकट इंदिरा नगर में संपन्न होगा। दूसरा कॉरिडोर भी 12.5 किलोमीटर का होगा और इसमें भी 12 स्टेशन बनाए जाएंगे। यह कॉरिडोर उसमानाबाद से शुरू होगा और शहर के बीच होते हुए हजूरीबाग में संपन्न होगा।

जम्मू में बनेंगे 23 स्टेशन

रूट के अनुसार जम्मू में भी दो कॉरिडोर बनेंगे और 23 किलोमीटर का सफर तय होगा। पहला कॉरिडोर बनतालाब से ज्यूल, रेलवे स्टेशन व त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन से होते हुए ग्रेटर कैलाश तक होगा, जिसमें कुल 17 स्टेशन बनाए जाएंगे। इस कॉरिडोर को बड़ी ब्राह्मणा तक बढ़ाए जाने पर भी गौर किया जा रहा है। दूसरा कॉरिडोर उदयवाला व प्रदर्शनी मैदान तक बनाया जा रहा है, जिसमें छह स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है।

मेट्रो का एडवांस वर्जन है लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम

जम्मू में पहले मेट्रो चलाने का प्रस्ताव था, जिसे ड्रॉप कर दिया गया है। मेट्रो की अधिक लागत व संचालन खर्च को देखते हुए लाइट मेट्रो चलाई जा रही है, जिसे तकनीकी भाषा में लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम कहा जाता है। यूरोप में इस समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए सबसे ज्यादा इन्हीं का इस्तेमाल हो रहा है। इसमें एक इंजन के साथ तीन से चार बोगियां लगती हैं। इसे छोटे रूट पर चलाया जाता है। इसकी बोगियां भी मेट्रो की तुलना में चौड़ाई में कम होती है। लिहाजा इनका वजन कम होता है और इसमें यात्रा मेट्रो की तुलना में अधिक आरामदायक होती है।

सड़क के ऊपर दौड़ेगी लाइट मेट्रो

श्रीनगर व जम्मू में चलने वाली लाइट मेट्रो सड़क से ऊपर पिलरों पर चलेगी। चूंकि भूमिगत प्रोजेक्ट की तुलना में इसका खर्च करीब 50 फीसद है, लिहाजा प्रशासन ने इसे जमीन के ऊपर रखने का फैसला किया है। भूमिगत प्रोजेक्ट में प्रति किलोमीटर खर्च करीब 500 करोड़ रुपये आता है, जबकि इसमें 250 करोड़। इसके अलावा रखरखाव पर खर्च भी करीब 50 फीसद कम है। जम्मू की संकरी सड़कों पर इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए पिलरों का सहारा लिया जाएगा। सड़क पर जहां जगह होगी, वहां ट्रैक रखा जाएगा और जहां सड़क की चौड़ाई कम होगी वहां पिलर खड़े कर उस पर लाइट मेट्रो दौड़ाई जाएगी। चूंकि इसकी चौड़ाई भी कम होती है और वजन भी मेट्रो की तुलना में कम, लिहाजा पतले पिललर बनने से सड़क पर यातायात भी प्रभावित नहीं होगा।

  • राइट्स के साथ समझौता हो गया है। राइट्स जम्मू व श्रीनगर के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगी। इसके साथ ही इस दिशा में प्रक्रिया शुरू हो जाएगाी। रिपोर्ट मिलने के बाद इन पर काम शुरू हो जाएगा। लाइट मेट्रो का ड्रीम प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में पूरा होगा।  - अवनी लवासा, चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर, ईरा 

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