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23 लाख की लेट फीस मामले में बगले झांक रहा डिस्टेंस एजुकेशन विभाग

यह गोपनीय जांच है। इस पर वह कुछ नहीं कहेंगी। जांच रिपोर्ट को लेकर अगर कोई आरोप लगा रहा है, तो वह इस पर भी कुछ नहीं कह सकती।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 04:32 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 04:32 PM (IST)
23 लाख की लेट फीस मामले में बगले झांक रहा डिस्टेंस एजुकेशन विभाग
23 लाख की लेट फीस मामले में बगले झांक रहा डिस्टेंस एजुकेशन विभाग

जम्मू, [जागरण संवाददाता]। जम्मू विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन विभाग में देरी से रजिस्ट्रेशन रिटर्न  (आरआर) भेजने में लगे 23 लाख रुपये की भारी भरकम लेट फीस के मामले में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डाल कर पल्ला झाड़ रहे हैं।

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मामले की जांच के लिए प्रो.संदीप टंडनके संयोजन में बनाई गई चार सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विभाग में अंतर विभागीय स्तर पर तालमेल की भारी कमी थी। हर एक ने अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ कर महज खानापूर्ति की। कमेटी की प्रो. संदीप टंडन के कार्यालय में 1 जनवरी, 11 जनवरी, 15 जनवरी को बैठकें हुईं जिनमें सभी संबंधित अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए।

कमेटी ने जब सभी संबंधित अधिकारियों के बयान दर्ज किए तो उन्होंने एक दूसरे को कसूरवार ठहरा दिया। सवाल फिर वहीं खड़ा है कि आखिर 23 लाख रुपये की लेट फीस कौन भरेगा। सूत्रों के अनुसार, अंदर ही अंदर अध्यापक वर्ग मिलकर जिम्मेदारी क्लेरिकल स्टाफ पर थोपने का प्रयास कर रहा है। दैनिक जागरण में प्रकाशित

समाचार के बाद ही विभाग की अंतर विभागीय कमेटी का गठन किया गया था। यह समाचार तब प्रकाशित किया गया था जब परीक्षा विभाग ने छह दिसंबर को डिस्टेंस एजुकेशन विभाग के डायरेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि अकादमिक सत्र 2017-18 के लिए हुए अंडर ग्रेजुएट के दाखिलों के बाद परीक्षा विभाग को समय पर आरआर नहीं भेजी गई। 

आरआर में विद्यार्थियों की योग्यता का पूरा ब्योरा होता है। उसके आधार उनकी परीक्षाएं करवाई जाती हैं। पत्र में कहा गया कि आरआर को बिना लेट फीस जमा करवाए भेजा गया है। अब जांच में यह भी सामने आया है कि आरआर क्लर्कों से तैयार करवाई गई, जबकि यह गुप्त दस्तावेज होता है, जिसे कोऑर्डिनेटर्स को तैयार करना होता है। पहले सेमेस्टर में 1006 विद्यार्थियों के हिसाब से 13,37,980 रुपये और तीसरे सेमेस्टर में 724 विद्यार्थियों के 9,62,920 रुपये बतौर लेट फीस जमा करवाए जाएं। पत्र में कहा गया था कि जब तक लेट फीस के 23,00900 रुपये जमा नहीं करवा दिए जाते हैं तब तक आरआर को मंजूर नहीं किया जाएगा। अब जबकि मामला जम्मू विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन विभाग का है तो निजी कॉलेजों की नजर भी इस पर लगी

हुई है क्योंकि विवि से कोई भी मान्यता प्राप्त डिग्री कॉलेज हो या बीएड कॉलेज या कोई अन्य, उसे निर्धारित समय के भीतर आरआर जमा करवानी पड़ती है। विवि के नियमों अनुसार दाखिलें की अंतिम तिथि के बाद तीस दिन के अंदर-अंदर आरआर जमा करवाने होते हैं अन्यथा पखवाड़े, महीने के हिसाब से लेट फीस शुरू हो जाती है। कुछ समय पहले आरआर देरी से जमा करवाने पर सरकारी डिग्री कॉलेज रामबन और आरएसपुरा डिग्री कॉलेज को लेट फीस भरनी पड़ी है। चूंकि परीक्षा विभाग ने अपनी कार्रवाई विवि के नियमों अनुसार की है लेकिन इतनी भारी भरकम रकम 23 लाख रुपये कौन देगा। कमेटी ने जिन लोगों से बात की उनमें कोऑर्डिनेटर डॉ. हिना एस अबरोल, डॉ. नीलम चौधरी,असिस्टेंट रजिस्ट्रार अमिता गुप्ता,सेक्शन आफिसर किरण बाला, पूजा मंहास डीलिंग असिस्टेंट बीकॉम, अंकुश पठानिया, डीलिंग असिस्टेंट बीए सेम-, कुलदीप कुमार, पूजा गंडोत्रा, डॉ. जसपाल सिंह शामिल थे। 

 यह गोपनीय जांच है, वह कुछ नहीं कह सकतीं 

डायरेक्टर डिस्टेंस एजुकेशन प्रो.दर्शना शर्मा ने कहा कि यह गोपनीय जांच है। इस पर वह कुछ नहीं कहेंगी। जांच रिपोर्ट को लेकर अगर कोई आरोप लगा रहा है, तो वह इस पर भी कुछ नहीं कह सकती। 


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