श्रीनगर हवाई अड्डे पर चरखे का अनावरण, उपराज्यपाल सिन्हा बोले-बापू सहित सभी स्वतंत्रता सैनानियों को यह उचित श्रद्धांजलि
उपराज्यपाल ने कहा कि श्रीनगर हवाई अड्डे पर चरखा हमें केंद्र शासित प्रदेश के विकास ढांचे में अधिक से अधिक सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा। इसकेे अलावा यह अपनी सामाजिक पूंजी और अन्य संसाधनों का बेहतर उपयोग करके लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी करेगा।
श्रीनगर, जेएनएन : चरखा महात्मा गांधी के आत्मनिर्भरता के विचार का प्रतीक है। गणतंत्र दिवस पर श्रीनगर हवाई अड्डे पर इसकी स्थापना बापू और भारत के सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों को एक उचित श्रद्धांजलि है। 1918 में बापू ने चरखे को आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाया। स्वदेशी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन जैसे अहिंसा, सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन का यह चरखा एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
यह बात उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चरखे का अनावरण करते हुए कही। जम्मू और कश्मीर खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (KVIB) द्वारा स्थापित किए गए इस चरखे की खास बात यह है कि यह 8.6 फीट चौड़ा और 4.3 फीट ऊंचा है। इसकेे अलावा इसका वजन 71 किलोग्राम के करीब है। इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि श्रीनगर हवाई अड्डे पर चरखा हमें केंद्र शासित प्रदेश के विकास ढांचे में अधिक से अधिक सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा। इसकेे अलावा यह अपनी सामाजिक पूंजी और अन्य संसाधनों का बेहतर उपयोग करके लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रेरित भी करेगा।
उन्होंने कहा कि आज जब हमारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हम चौथी औद्योगिक क्रांति की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि चरखा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के प्रतीक के रूप में काम करेगा। देश के नागरिकों को प्रेरित करेगा। उपराज्यपाल ने इसी बीच उन्होंने कश्मीर केंद्रित दलों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी को मिलकर आत्मनिर्भर जम्मू-कश्मीर और एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए।
उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करने में काफी प्रगति कर रहा है। उन्होंने इसी भावना केे साथ काम करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि खादी, ग्रामीण कला और शिल्प के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास जारी रखें। उन्होंने इनकी पहुंच को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक ले जाने के लिए और काम करने के लिए भी कहा। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री का नारा 'राष्ट्र के लिए खादी, फैशन के लिए खादी', ने अधिक लोकप्रियता हासिल की है। अब अंतरराष्ट्रीय डिजाइनर खादी का उपयोग न्यूयॉर्क और लंदन फैशन शो में कर रहे हैं।
उपराज्यपाल ने इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के विश्व प्रसिद्ध हस्तशिल्प, कला और संस्कृति की पहचान को संरक्षित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों का भी आह्वान किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (केवीआईबी) द्वारा इन कलाओं से जुड़े लोगों, कारीगरों की आजीविका में बेहतर सुधार केे लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 11,978 इकाइयां, ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 1,803 इकाइयां जबकि वंचित वर्गों और महिलाओं के लिए 4,904 इकाइयां स्थापित की गई हैं। इन सभी योजनाओं के तहत लगभग 1,50,000 लोगों को व्यावहारिक रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं।
उपराज्यपाल ने इस ऐतिहासिक अवसर पर जम्मू-कश्मीर खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड की उपाध्यक्ष डॉ हिना भट्ट, केवीआईबी के सदस्यों और अधिकारियों को भी बधाई दी।