जम्मू-कश्मीर पुलिस संगठन में अब महिलाओं को नौकरी में मिलेगा 15 प्रतिशत आरक्षण
राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर अपने संदेश में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बालिकाओं के अधिकारों के प्रति जनजागरुकता पैदा करने के लिए सामुदायिक सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि हमें बालिकाओं को पूरा समर्थन और अवसर प्रदान करने चाहिए।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर सोमवार को केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश की महिलाओं को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक सौगात दी। उन्होंने जम्मू कश्मीर पुलिस संगठन में गैर राजपत्रित पदों के लिए 15 प्रतिशत महिला आरक्षण का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि यह अंत नहीं , शुरुआत है। हम भविष्य में इसमें और वृद्धि के लिए संकल्पबद्ध हैं। जम्मू कश्मीर में इससे पहले किसी भी सरकारी विभाग या संस्था में रोजगार के लिए महिला आरक्षण नहीं था। सिर्फ एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में 50 प्रतिशत सीटों का लड़कियों के लिए आरक्षण का प्रविधान रहा है।
On #NationalGirlChildDay, approved 15% reservation for women in non-gazetted posts of @JmuKmrPolice. This is just the beginning. We are determined and committed to increase it further in the future.
— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) January 24, 2022
राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर अपने संदेश में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बालिकाओं के अधिकारों के प्रति जनजागरुकता पैदा करने के लिए सामुदायिक सहयोग का आग्रह करते हुए कहा कि हमें बालिकाओं को पूरा समर्थन और अवसर प्रदान करने चाहिए। उन्होंंने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस प्रत्येक बालिका के लिए समान अधिकार हासिल करने, उन्हें एक शांतिपूर्ण, समृद्ध और टिकाऊ समाज के अवसरों के साथ सशक्त बनाने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता को दोहराने का एक अवसर हमें प्रदान करता है।
On #NationalGirlChildDay, I salute the daughters of the nation for their accomplishments in various fields. Let us reiterate our commitment towards securing equal rights for every girl child, empowering them with opportunities for a peaceful, prosperous and sustainable society. pic.twitter.com/Lgpk4kTv33— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) January 24, 2022
उपराज्यपाल ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को साबित कर रही इस राष्ट्र की बेटियों को मैं सलाम करता हूं। वैश्विक महाकारी से जूझ रही हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की वह रीढ़ की हड्डी हैं। लड़कियों की अहमियत के बारे में जागरुकता पैदा कर उनकी शिक्षा को सुनिश्चित बनाना, उनके स्वास्थ्य एवं पोषण व उनके प्रति सामाजिक मानसिकता में बदलाव लाना न सिर्फ हमारी एक सामाजिक बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। बालिकाओं के सशक्तिकरण की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों के प्रयास सराहनीय हैं।