कारगिल के लोगों ने राज्यपाल से कहा, केंद्र शासित लद्दाख में भूमि-रोजगार संरक्षण कायम रहे
लद्दाख को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने की मांग के साथ उन्होंने लद्दाख में आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रूपये का विशेष पैकेज जारी करने की बात कही।
कारगिल, जेएनएन। पहली बार कारगिल के लोगों को यह एहसास हो रहा है कि देश के लिए यहां के लोगों के बलिदान माना जा रहा है। यह पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा किए गए फैसले से झलकता है। परंतु इसी के साथ यहां के लोगों को अपनी संस्कृति व पहचान खोने का डर भी सता रहा है। यह सभी जानते हैं कि लद्दाख क्षेत्र के लोगों की अलग संस्कृति है। यहां की भोगौलिक स्थिति भी दूसरे प्रदेशों से अलग है। यहां 95 प्रतिशत लोग जनजातीय हैं। लोगों को लग रहा है कि लद्दाख के नए केंद्र शासित राज्य बनाने से यहां की संस्कृति और पहचान कहीं खत्म न हो जाए।
यह बात भारतीय जनता पार्टी कारगिल के प्रधान मोहम्मद अली मजाज, भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य उपप्रधान मोहम्मद हसन पाशा ने कारगिल एयरपोर्ट पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ भेंट के दौरान कही। उन्होंने लद्दाख को केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने के लिए यहां के लोगों की ओर से राज्यपाल का धन्यवाद किया। इसी के साथ उन्होंने स्थानीय लोगों को सता रही चिंताओं से राज्यपाल को अवगत कराने के लिए मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा। मोहम्मद अली ने राज्यपाल से लद्दाख में भूमि और रोजगार संरक्षण को पहले की तरह कायम रखने की बात कही। यही नहीं उन्होंने लद्दाख को अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र का दर्जा देने की मांग भी उठाई। वहीं पाशा ने लद्दाख में आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए एक हजार करोड़ रूपये के विशेष पैकेज की भी राज्यपाल से मांग की।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से सामूहिक विश्वविद्यालय को केंद्र विश्वविद्यालय में बदलने, कारगिल कस्बे को कुबरथंग क्षेत्र में शिफ्ट करने की भी बात रखी। उन्होंने कारगिल एयरपोर्ट का निर्माण भी जल्द से जल्द शुरू करने को कहा ताकि यह क्षेत्र सालभर देश के अन्य राज्यों से जुड़ा रहे। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह प्राथमिकता पर इन मुद्दों को केंद्र सरकार के समक्ष रखेंगे ताकि यहां पर विकास का नया अध्याय शुरू हो सके। उन्होंने यह विश्वास भी दिलाया कि जो उनके अधीन है, उसके लिए उन्हें इंतजार नहीं करना पड़ेगा।