India China Border Issue: चीन को सबक सिखाने को बंदूक उठा रहे लद्दाखी युवा, पूर्व सैनिक भी तैयार
सेना भी लद्दाखी लोगों की बहादुरी की कायल है ऐसे में लद्दाख स्काउट्स में लेह व कारगिल के सैनिकों की संख्या में निरंतर वृद्धि कर रही है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। पूर्वी लद्दाख केे गलवन में चीन से खूनी संघर्ष में अपने 20 जवानों की शहादत के बाद दुश्मन को सबक सिखाने के लिए कड़ी सर्तकता बरत रही भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए लद्दाख के लोग भी तैयार हैं। लद्दाखी युवा यहां देश की खातिर बंदूक उठा रहे हैं तो वहीं कारगिल के युद्ध में दम दिखा चुके कई पूर्व सैनिक फिर मैदान में उतरने का जज्बा रखते हैं।
सेना चुनौतीपूर्ण हालात में चीन के सामने सीना ताने खड़ी है। ऐसे हालात में लद्दाखी लोग का जोश उनका हौंसला बढ़ा रहा है। लद्दाख में तैनात सेना में भी खासी संख्या में लद्दाखी युवा हैं। सेना के साथ मैदान में ऐसे काफी लद्दाखी युवा भी हैं जो सैनिक नही बन पाए तो पोर्टर बनकर सेना के साथ काम करने लगे।
लद्दाख के लेह व कारगिल जिलाें में ऐसे खासे पूर्व सैनिक हैं तो कारगिल की पहाड़ियों पर चड़कर दुश्मन को मार गिराने के लिए लड़े गए युद्ध में सबसे आगे रहे। हाई अल्टीचयूड माउंटेन वारफेयर में दक्ष से वीर वक्त आने पर फिर देश के लिए फिर बंदूक उठा सकते हैं। कारगिल युद्घ में वीरता दिखा चुके लद्दाख स्काउट्स के सेवानिवृत सुबेदार छीरिंग स्तोब्दान का कहना है कि लद्दाख के लोग कुदरती तौर पर बहादुर व फिट हैं। उनका कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो अपने पुराने साथियों के साथ वह फिर दुश्मन से लोहा लेने के लिए मैदान में आ जाएंगे।
स्तोब्दान का कहना है लद्दाखी सैनिक दुर्गम इलाकों में युद्ध लड़ने में बेहतर हैं। स्थानीय होने के नाते वे लद्दाख में बर्फ, कम आक्सीजन में दुश्मन से लड़ सकते हैं। ऐसे में चीन, पाकिस्तान जैसे देशों से सटे लद्दाख की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक लद्दाखी युवाओं को सेना में भर्ती करना समय की मांग भी है। स्तोब्दान की तरह लेह के पूर्व सैनिक सोनम दोरजे व हवलदार सिवांग रिगजिन का भी कहना है कि लद्दाखी सैनिक फौज से आने के बाद भी चुनाैतीपूर्ण हालात में जीवन जीतें हैं। उन्हें जब भी युद्ध के मैदान में बुलाया जाएगा, वे बिना समय गवाए मैदान में आ जाएंगे।
इसमें कोई दोराय नही है कि कारगिल में पाकिस्तान काे गहरे आघात देने वाली सेना की लद्दाख स्काउट्स में बहादुरों की कोई कमी नही है। कारगिल के युद्ध में सेना की लद्दाख स्काउट्स के 24 बहादुरों ने युद्ध जीतने के लिए जान की कुर्बानी दी थी। जब भी दुश्मन से लोहा लेने का समय आया जो लद्दाखी सैनिक आगे रहे। ऐसे में लद्दाख स्काउट्स को बहादुरी के लिए अब तक एक अशोक चक्र, दस महावीर चक्र, दो कीर्ति चक्र समेत 300 से अधिक वीरता पदक मिल चुके हैं।
लद्दाख में तैयार हो रही बर्फ के यौद्धाओं की फौजः पश्चिमी लद्दाख में पाकिस्तान के सामने सियाचिन व पूर्व लद्दाख में चीन से लोहा लेने के लिए बर्फ के यौद्धाओं की फाैज तैयार हो रही है। लद्दाख के लेह व कारगिल जिले के 127 युवा लेह के लद्दाख स्काउट्स रेजीमेंटल सेंटर में ट्रैनिंग पूरी करने के बाद गत दिनों सेना में शामिल हो गए। गलवन में चीन से तनातनी के माहौल के बीच सेना में शामिल हुए इन युवाओं को बर्फीले इलाकों के दुर्गम हालात में दुश्मन से युद्ध लड़ने की विशेष ट्रैनिंग दी गई है। लद्दाख के लोग भी नही चाहते हैं कि क्षेत्र में चीन जैसे दुश्मन देश की नापाक साजिशें कामयाब हों, लिहाजा लद्दाखी युवा सेना में भर्ती होने के लिए पूरा जोर लगाते हैं।
सेना भी लद्दाखी लोगों की बहादुरी की कायल है, ऐसे में लद्दाख स्काउट्स में लेह व कारगिल के सैनिकों की संख्या में निरंतर वृद्धि कर रही है। यह कहना है लद्दाख में डयूटी कर चुके सेना के सेवानिवृत कर्नल वीएस जम्वाल का। उनका कहना है कि लद्दाख के लोग भी चीन को अपने लिया बड़ा खतरा मानते हैं। ऐसे में वे देश की रक्षा की अपनी जिम्मेवारी निभाने के लिए जोश के साथ सामने आते हैं।