Union Territory Ladakh: लद्दाख पश्मीना को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान, प्रशासन ने संभाली कमान
उपराज्यपाल माथुर ने संबंधित विभाग को पश्मीना के विकास के लिए अध्ययन करने को विशेषज्ञों की एक कमेटी की सहायता लेने को कहा। इसमें चांगथांग के खानाबदोशों के विकास के लिए कार्य योजना भी तैयार करने को कहा। ।
जम्मू, राज्य ब्यूरो: लद्दाख पश्मीना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने के लिए अब स्थानीय प्रशासन काम करेगा। लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर इसमें स्वयं रूचि दिखा रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को इसके लिए पेश आने वाली सभी चुनौतियों ओर उनका समाधान करने के कदम उठाने को कहा।
उपराज्यपाल ने सलाहकार उमंग नरुला, सचिव उद्योग सौगात वियवास, भेड़ और पशुपालन विभाग के सचिव रविंद्र कुमार व अन्य अधिकारियों के साथ पश्मीना को बढ़ावा देने के लिए चर्चा भी की। उपराज्यपाल ने कहा कि पश्मीना उद्योग के विस्तार के लिए चंथाग के खानाबदोश लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना जरूरी है। उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के अलावा उनके बच्चों के लिए शिक्षा, बिजली, हीटिंग, इंटरनेट जैसी सुविधा देने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए एक स्थायी योजना बनाने को कहा। माथुर ने संबंधित विभाग को पश्मीना के विकास के लिए अध्ययन करने को विशेषज्ञों की एक कमेटी की सहायता लेने को कहा। इसमें चांगथांग के खानाबदोशों के विकास के लिए कार्य योजना भी तैयार करने को कहा।
उपराज्यपाल ने कहा कि उत्पादन के पहले चरण ऊन कतरने से ही पश्मीना को लग्जरी उत्पाद के रूप में माना जाना चाहिए और विभाग को उत्पादन बढ़ाने और इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम मशीनरी और उपकरणों में निवेश करना चाहिए। विभाग को चांगथांग के लोगों को दी जाने वाली कताई, बुनाई और रंगाई में बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण देने लिए निवेश करने का निर्देश दिया ताकि यह उनके लिए आय का एक स्रोत बन सके। उन्होंने पूरी उत्पादन प्रक्रिया में शत-प्रतिशत आर्गेनिक दृष्टिकोण हासिल किया जाना चाहिए। एलजी माथुर ने कहा कि लद्दाख में उत्पादित सभी पश्मीना उत्पादों को जीआई टैग होना चाहिए इसकी गुणवत्ता को प्रमाणित करने के लिए एक निर्माता टैग होना चाहिए।
इसके अलावा, पशुधन के कल्याण के लिए, माथुर ने सुझाव दिया कि बकरियों के चारा के लिए पोषण नीति लागू की जानी चाहिए। उन्होंने लद्दाख की पश्मीना बकरियों के संरक्षण और बेहतरी के लिए प्रजनन नीति बनाने को भी कहा। इसके लिए उन्होंने आईसीएआर की अध्यक्षता वाली समिति का गठन करने का सुझाव दिया। उपराज्यपाल ने सभी संबंधित विभागों को सलाह दी कि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में लद्दाख की पश्मीना के लिए पहचान के लिए काम करें और इससे चंगथंग के लोगों को लाभ पहुंचाएं।