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आध्यात्म के लिए लद्दाख के भाजपा सांसद ने छोड़ी राजनीति

राज्य ब्यूरो, जम्मू : प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लद्दाख के सांसद 71 वर्षीय थु

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 09:56 AM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 09:56 AM (IST)
आध्यात्म के लिए लद्दाख के भाजपा सांसद ने छोड़ी राजनीति
आध्यात्म के लिए लद्दाख के भाजपा सांसद ने छोड़ी राजनीति

राज्य ब्यूरो, जम्मू : प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लद्दाख के सांसद 71 वर्षीय थुपस्तान छवांग ने स्वास्थ्य कारणों और आध्यात्मिकता की तरफ खुद को समर्पित करने के लिए पार्टी और लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश भाजपा प्रमुख र¨वद्र रैना ने भी उनके इस्तीफे की पुष्टि की।

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सूत्रों ने बताया कि थुपस्तान छवांग ने गत 14 नवंबर को प्रदेश भाजपा प्रमुख र¨वद्र रैना को एक पत्र लिखकर कहा था कि मैं मैं स्वास्थ्य कारणों से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं। इसके साथ ही लोकसभा की स्पीकर को भी अलग से एक पत्र लिखकर संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। थुपस्तान छवांग के करीबियों की मानें तो वह अब अपना पूरा ध्यान लद्दाख प्रांत में बौद्ध धर्म के विकास और प्रचार पर केंद्रित करना चाहते हैं। इसके लिए वह बीते एक साल से लगातार सक्रिय राजनीति में अपनी गतिविधियों को घटा रहे थे। हाल ही में संपन्न हुए लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद और उसके बाद निकाय चुनावों की गतिविधियों से भी वह लगभग दूर ही रहे।

प्रदेश भाजपा प्रमुख र¨वद्र रैना ने थुपस्तान छवांग के इस्तीफे की पुष्टि करते हुए बताया कि वह अब आध्यात्मिकता की तरफ खुद को समर्पित कर रहे हैं। वह बीते कई दिनों से हम सभी पर जोर दे रहे थे कि उन्हें संगठनात्मक गतिविधियों से मुक्त किया जाए। वह राजनीति से सन्यास चाहते थे। वह कल भी हमारे साथ थे, आज भी हैं और आगे भी हमारे साथ ही रहेंगे। उन्होंने संसद से भी इस्तीफा दे दिया है, लेकिन उनका इस्तीफा मंजूर हुआ है या नहीं, इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। कद्दावर नेता रहे हैं छवांग :

थुपस्तान छवांग 1972 में पहली बार राज्य की सियासत में सुर्खियों में आए जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री सईद मीर कासिम के लद्दाख दौरे पर विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया था। उन्हें उस समय 20 दिनों तक जेल में रखा गया था। उन्होंने लद्दाखियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने और लद्दाख प्रांत को केंद्र शासित राज्य का दर्जा दिलाने के आंदोलन भी चलाए। वह वर्ष 1988 से 1995 तक लद्दाख बौद्ध संघ के अध्यक्ष भी रहे। वह लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद लेह के पहले चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसलर भी रहे। इसके बाद वर्ष 2000 में उन्होंने लद्दाख टेरीटेरी फ्रंट का गठन किया। लद्दाख टेरीटेरी फ्रंट के बैनर तले वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवार निर्विरोध जीते थे। वर्ष 2004 में उन्होंने लद्दाख टेरीटेरी फ्रंट के बैनर तले संसदीय चुनाव लड़ा और जीते थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और वर्ष 2014 में हुए 16वीं लोकसभा के चुनाव में उन्होंने लद्दाख प्रांत की संसदीय सीट पर चुनाव लड़ा। वह यह चुनाव मात्र 36 वोटों से जीते, लेकिन भाजपा के लिए एक इतिहास बना। पहली बार भाजपा ने लद्दाख प्रांत की संसदीय सीट पर कब्जा किया।


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