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Jammu Kashmir: कश्मीर में जवानों को आतंकी खतरों से ही नहीं तनाव भगाकर उनका जोश बढ़ा रहा 'रोश'

44 राष्ट्रीय राइफल्स के कमान अधिकारी कर्नल एके सिंह का कहना है कि डॉग स्क्वायड ने कई बार आतंकवादियों की साजिशों को पर्दाफाश कर जवानों की जान बचाई है। रोश ने मुठभेड़ स्थल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को पकड़ लिया था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 11:25 AM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 11:31 AM (IST)
Jammu Kashmir: कश्मीर में जवानों को आतंकी खतरों से ही नहीं तनाव भगाकर उनका जोश बढ़ा रहा 'रोश'
खून के निशानों के आधार पर रोश ने आतंकवादी आबिद मंजूर को खोज निकाला।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : कुत्ते भी तनाव को दूर करने में बड़े सहायक साबित हो सकते हैं। यह बात कश्मीर में तैनात सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स में सत्यापित होती है। सेना की इस बटालियन को मिला लैब्राडोर नस्ल का दो वर्षीय रोश अपनी उछलकूद से जवानों का मिजाज खुशनुमा बनाए रखता है। जब से यह बटालियन में आया है तब से जवानों का व्यवहार और भी दोस्ताना हो चला है। उनमें तनाव दूर हुआ है और नई ऊर्जा का संचार हुआ है। रोश को बहादुरी के लिए इस वर्ष सेना दिवस पर प्रशस्ति पत्र से नवाजा गया था।

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सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स को मिले छह खोजी कुत्तों में से एक रोश एक है जो कश्मीर में जवानों को आतंकी खतरों समेत उन्हें तनाव से बचा रहे हैं। डॉग स्क्वायड के इस दस्ते की आतंकियों के मंसूबे नाकाम करने में अहम भूमिका है। दिन भर की पेट्रोलिंग के बाद जवान जब शिविर में लौटते हैं तो रोश को उछला, खेलता देख सारी थकान भूल जाते हैं। यह जवानों के आगे-पीछे घूमकर उनकी आंखों में अपनेपन की चमक ला देता है। 44 राष्ट्रीय राइफल्स के डॉग स्क्वायड में छह कुत्ते हैं। इनमें से रोश, तापी और क्लाइड को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के लस्सीपोरा, इमाम साहिब और शोपियां के उच्च सतर्कता और संवेदनशील इलाके में तैनात किया गया है। इन खोजी कुत्तों ने अब कि कई उपलब्धियां हासिल की हैं।

44 राष्ट्रीय राइफल्स के कमान अधिकारी कर्नल एके सिंह का कहना है कि डॉग स्क्वायड ने कई बार आतंकवादियों की साजिशों को पर्दाफाश कर जवानों की जान बचाई है। रोश ने मुठभेड़ स्थल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर हिजबुल मुजाहिदीन के एक आतंकवादी को पकड़ लिया था। शोपियां के द्रागर में मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों में से दो की पहचान हो गई थी, लेकिन तीसरा आतंकवादी आबिद मंजूर उर्फ साजू घायल होने के बाद भाग निकाला। उसके खून के निशानों के आधार पर रोश ने उसे खोज निकाला।

मानसी दे चुकी है जान: वर्ष 2015 में चार साल की लैब्राडोर मानसी ने आतंकवादियों से लड़ते हुए प्राणों की आहूति दी थी। उसने सैनिकों को कश्मीर के टंगडार इलाके के कसूरी रिज में तीन आतंकवादियों को मार गिराने में सहयोग दिया था।  


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