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छत्रपाल को मरणोपरांत कुंवर वियोगी साहित्य कला सम्मान, यह सम्मान पाने वाले वह पहले साहित्यकार

छत्रपाल को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। वह यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले साहित्यकार हैं। उनकी धर्मपत्नी ने यह सम्मान प्राप्त किया।

By Edited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:01 AM (IST)
छत्रपाल को  मरणोपरांत कुंवर वियोगी साहित्य कला सम्मान, यह सम्मान पाने वाले वह पहले साहित्यकार
छत्रपाल को मरणोपरांत कुंवर वियोगी साहित्य कला सम्मान, यह सम्मान पाने वाले वह पहले साहित्यकार

जागरण संवाददता, जम्मू : साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित स्व. छत्रपाल को कुंवर वियोगी साहित्य कला सम्मान, जबकि युवा साहित्यकार रोशन बराल को उनके पहले डोगरी काव्य संग्रह के लिए कुंवर वियोगी साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया। डोगरी संस्था में नवनिर्मित कुंवर वियोगी ऑडिटोरियम का लोकार्पण प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया।

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कार्यक्रम का आयोजन डोगरी संस्था और कुंवर वियोगी मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से किया गया। छत्रपाल को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। वह यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले साहित्यकार हैं। उनकी धर्मपत्नी ने यह सम्मान प्राप्त किया। सम्मान में 51 हजार रुपये, शॉल, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र दिया गया। रोशन बराल को 11 हजार रुपये, शॉल, समृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रो. वीणा गुप्ता ने छत्रपाल पर प्रशस्ति पत्र पढ़ा। छत्रपाल बहुमुखी लेखक थे, जिन्होंने कहानियों, लेखों के अलावा, वृत्तचित्रों के लिए लघु कथाएं, नाटक, टेली स्क्रिप्ट और स्क्रिप्ट लिखकर डोगरी की मजबूती के लिए कार्य किया।

उन्होंने ऐसी कोई शैली नहीं है, जिसमें योगदान न दिया हो। वहीं, कुंवर वियोगी साहित्य पुरस्कार हर साल एक युवा लेखक को दिया जाता है। इस वर्ष यह पुरस्कार रोशन बराल को उनके डोगरी काव्य संग्रह 'शिशा' के लिए दिया गया है। सभागार का निर्माण और उद्घाटन ऐतिहासिक क्षण : प्रो. ललित डोगरी संस्था के अध्यक्ष प्रो. ललित मगोत्रा ने स्वागत भाषण में कहा कि इस सभागार का निर्माण और उद्घाटन डोगरी भाषा और साहित्य के इतिहास में ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने ऑडिटोरियम के पूरा होने के बाद पुस्तकालय और संग्रहालय के निर्माण की योजनाओं को दर्शकों के साथ साझा किया।

प्रो. मगोत्रा ने वित्तीय सहायता के साथ सभागार को पूरा करने के लिए कुंवर वियोगी मेमोरियल ट्रस्ट के नैतिक समर्थन की सराहना की। ऑडिटोरियम से मिलेगी सुविधा कुंवर वियोगी मेमोरियल ट्रस्ट की संस्थापक पूनम सिंह जम्वाल ने कहा कि डोगरी संस्था और ट्रस्ट के संयुक्त प्रयासों से बनाया गया कुंवर वियोगी सभागार, कला और संस्कृति का केंद्र होगा। कवि, लेखक, कलाकार और संरक्षक एक मंच पर बैठकर अपने कार्यो का प्रदर्शन कर सकेंगे। कुंवर वियोगी मेमोरियल ट्रस्ट ने डोगरी को बढ़ावा देने और युवाओं में भाषा को प्रासंगिक बनाने के लिए कई प्रयास शुरू किए हैं।

ट्रस्ट स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय और सांस्कृतिक स्तर पर लगातार कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। ट्रस्ट विश्वविद्यालय, कॉलेज और स्कूल स्तर पर छात्रवृत्ति, साहित्यिक और कला नवाचार पुरस्कार प्रदान करता है। इसका उद्देश्य युवाओं को रचनात्मक गतिविधियों के लिए प्रेरित करना है। प्रसिद्ध रेडियो और मंच कलाकारों दीपक कुमार, राज कुमार, जूही मोहन व प्रोमिला मन्हास ने प्रतिष्ठित डोगरी कवियों दीनू भाई पंत, केहरी ¨सह मधुकर, पद्मा सचदेव और कुंवर वियोगी की रचनाएं सुनाई। डोगरी संस्था की उपाध्यक्ष प्रो. शशि पठानिया ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम के समापन पर डोगरी संस्था के उपाध्यक्ष ज्ञानेश्वर शर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया।


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