Jammu : जानिए कैसे अपनी आय बढ़ा रहे हैं जम्मू के किसान
किसान महेश कुमार चौधरी सहित अन्य किसान इन दिनों अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी की फसल लगा रहे हैं। यह फसल अगले तीन महीनों के दौरान पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और किसान बाजार में अपनी फसल को बेचकर अच्छी आमदनी कमा सकेंगे।
जम्मू, जागरण संवाददाता : परंपरागत खेती से हटकर जम्मू के ग्रामीण क्षेत्र के किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने में जुटे हुए हैं। बार बार फसल खराब होने के डर से अब जम्मू के मैदानी इलाकों के किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू कर दी है और इससे किसानों को लाभ भी होने लगा है।
जम्मू से सटे मीरां साहिब के गांव चक लाबल के किसान महेश कुमार चौधरी सहित अन्य किसान इन दिनों अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी की फसल लगा रहे हैं। यह फसल अगले तीन महीनों के दौरान पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और किसान बाजार में अपनी फसल को बेचकर अच्छी आमदनी कमा सकेंगे। स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान महेश कुमार चौधरी, अशोक कुमार, नरेश कुमार, जगदीश लाल व तरसेम कुमार आदि का कहना है कि पहले वह परंपरागत खेती करते थे जिसमें उन्हें कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिलता था।
ऊपर से कुदरती आपदा के कारण फसल नष्ट हो जाती थी। इसी बीच उन्होंने परंपरागत खेती से हटकर दूसरी खेती करने के लिए सोचा और आज वे लोग नवंबर महीने में अपने खेतों में स्ट्रॉबेरी की फसल लगा रहे हैं जोकि फरवरी तक तैयार हो जाएगी। किसानों का कहना था कि स्ट्रॉबेरी के पौधे उन्होंने हिमाचल के सोलन से खरीद कर लाए हैं। इसमें हॉर्टिकल्चर विभाग भी उन्हें पूरा सहयोग करता है।
कैसे खेती करनी है : इस बारे किसानों ने नई तकनीक बताई जाती है। किसान महेश चौधरी का कहना है कि उन्होंने अपनी 32 कनाल जमीन में स्ट्रॉबेरी की फसल खेती की है और फरवरी महीने तक फसल तैयार हो जाएगी। बाजार में अच्छा रेट भी मिल जाता है। हॉर्टिकल्चर विभाग की ओर से उन्हें 13 हजार रुपये प्रति कनाल की सबसिडी भी दी जाती है। हालांकि उन्होंने माना कि पिछले साल कोरोना वायरस के चलते स्ट्रॉबेरी की खेती से उन्हें ज्यादा लाभ नहीं मिला। केवल लागत ही पूरी हो पाई थी। इस बार उम्मीद करते हैं कि अच्छा उत्पादन होगा तो पिछले साल की भी सारी कसर निकल जाएगी। उन्होंने अनेक किसानों को भी प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह भी परंपरागत खेती से हटकर बदल बदल कर खेती करें और अपनी आमदनी में दोगुना बढ़ोतरी करें।
प्रदेश कांग्रेस सचिव पंडित पवन रैना का कहना है कि हॉर्टिकल्चर विभाग को चाहिए कि प्रदेश भर में सभी पंचायतों में जागरूक कैंप लगाए जाए और किसानों को बताएं कि वह बदल बदल कर खेती करें और जो सरकारी स्कीम हॉर्टिकल्चर विभाग की ओर से किसानों की बेहतरी के लिए चलाई जा रही हैं किसान उसका लाभ लें।
उनका कहना है कि आज परंपरागत खेती करने वाले किसान खेती से पूरी तरह से परेशान हैं कभी कुदरती आपदा कहर बनकर टूट जाती है और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है अगर किसान बदल बदल कर अलग खेती करता है तो उसका वह उन्हें काफी लाभ मिल सकता है। हॉर्टिकल्चर विभाग पंचायत स्तर पर जल्द से जल्द कैंप लगाकर किसानों को उनके पास जो भी सरकारी स्कीमें उपलब्ध है, उनके बारे में बताएं।