पंडितों की वापसी को लेकर सरकार गंभीर नहीं
जागरण संवाददाता, जम्मू : साल दर साल बीतते जा रहे हैं, लेकिन 28 वर्षो से विस्थापन का दंश झेल र
जागरण संवाददाता, जम्मू : साल दर साल बीतते जा रहे हैं, लेकिन 28 वर्षो से विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के बारे में किसी के पास स्पष्ट उत्तर नहीं है। भाजपा ने भी सत्ता संभालने से पहले कई दावे किए, लेकिन जमीनी स्तर पर ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है।
घाटी वापसी का सपना संजोए विस्थापित कैंपों में परेशानियों के बीच रह रहे कश्मीरी पंडितों को अब लगने लगा है कि भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार भी इसको लेकर गंभीर नहीं है। राहत राशि बढ़ाने, प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत रिक्त पदों को भरने, विस्थापित कैंप में बनाए गए आवासीय इमारतों की मरम्मत कराने सहित अन्य मांगों को लेकर सोमवार को कश्मीरी पंडितों ने जगटी टाउनशिप के बाहर प्रदर्शन किया।
जगटी टेनेमेंट कमेटी सोन कश्मीर फ्रंट के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे इन कश्मीरी पंडितों के केंद्र व राज्य सरकार के प्रति यही विचार थे कि पूर्ववर्ती सरकारों की तरह यह भी टालमटोल की नीति अपना रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे शादी लाल पंडिता ने कहा कि विस्थापित कैंपों में रहने वाले कश्मीरी परिवार सुखी नहीं हैं। उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
घाटी में उनके स्थायी पुनर्वास के लिए जो सुरक्षित सेटेलाइट टाउनशिप की मांग की गई थी, उस पर कोई विचार नहीं किया गया है। यही नहीं, घाटी में उनकी संपत्ति को हुए नुकसान का मुआवजा भी नहीं दिया गया है। उन्होंने फ्रंट की ओर से हरेक विस्थापित परिवार को चार लाख रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से 28 वर्षो का भुगतान करने की बात कही। प्रदर्शन में शामिल पंडितों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी अनदेखी होती रही तो उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर होना पड़ेगा।
प्रदर्शनकारियों में पीएल थुस्सू, काशी नाथ भट्ट, पीएल काचरू, राज कुमार भट्ट, एमएल ऐमा, एमके सूरी, एसके पंडिता, एमएल भट्ट व सीएल पंडिता सहित अन्य शामिल थे।