कश्मीरी पंडितों ने निष्कासन दिवस को काला दिवस के रूप में मनाया, जगटी में रैली निकाल विरोध जताया
कश्मीरी पंडितों ने कहा कि आज का यह काला दिन हर कश्मीरी पंडित को याद है जिसको घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। भारत सरकार का काम है कि कमीशन बैठाकर जांच कराए और जिन लोगों ने कश्मीर के हालात खराब किए को जेलों की हवा खिलाई जानी चाहिए।
जम्मू, जागरण संवाददाता। आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव के चलते 1990 में आज ही के दिन घाटी से भारी तौर पर कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू हुआ था। निष्कासन के इस दिन को कश्मीरी पंडित काला दिन के रूप में मनाते हैं। इस्लामिक कट्टरपंथियों का विरोध करते हैं ।
बुधवार को जगटी में कश्मीरी विस्थापित पंडितों ने रैली निकाल कर विरोध प्रकट किया। इन कश्मीरी पंडितों ने कहा कि आज का यह काला दिन हर कश्मीरी पंडित को याद है जिसको घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था। भारत सरकार का काम है कि वह कमीशन बैठाकर जांच कराए और जिन लोगों ने कश्मीर के हालात खराब किए थे, को जेलों की हवा खिलाई जानी चाहिए। कश्मीरी पंडितों ने जमकर प्रदर्शन किया और वहीं दूसरी ओर मांग की कि कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी सुनिश्चित की जाए।
पिछले 32 साल से कश्मीरी पंडित अपनी ही भूमि से कट कर रह गए हैं। इस मौके पर संबोधित करते हुए जगटी टेनेमेंट कमेटी के प्रधान शादी लाल पंडिता ने कहा कि घाटी में आतंकवाद के कारण इन कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ने पड़े थे, लेकिन आज यह कश्मीरी पंडित अपनी मिट्टी से जुड़ना चाहता है और कश्मीर में तीन बड़ी सैटेलाइट कालोनियों की मांग करता है। अगर सरकार ऐसा कर दे तो 70 हजार कश्मीरी पंडित परिवार घाटी वापिस चला जाएगा और अपनी मिट्टी से जुड़ जाएगा। लेकिन केंद्र सरकार अब इस दिशा में कदम ही नही उठा रही। कश्मीरी पंडितों को बताया जाए कि घाटी वापसी के लिए केंद्र सरकार के पास क्या योजना है।
वहीं राज कुमार टिक्कू ने कहा कि 19 जनवरी का दिन कश्मीरी पंडित नही भूल पाएंगे। जब कश्मीर के हालात एकदम कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हो गए और लाऊड स्पीकरों पर उनको घाटी छोड़ देने की घोषणाएं होने लगी। कश्मीरी पंडितों को अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए पलायन को मजबूर होना पड़ा। कई कश्मीरी पंडितों ने अपनी जानें भी गंवाई। केंद्र सरकार अब जांच कमेटी गठित करे ताकि असली दोषियों को जेलों तक पहुंचाया जा सके।