Target Killing In Kashmir : कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घाटी जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाए
मौके पर पनुन कश्मीर के प्रधान विरेंद्र रैना ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को चाहिए कि पहले कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में सोचे। घाटी में यह कर्मचारी कैसे रह सकते हैं इसके बारे में सरकार को बताना चाहिए कि उनके पास क्या बंदोबस्त है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : यूथ आल इंडिया कश्मीरी समाज ने कहा है कि जब तक कश्मीर के हालात सामान्य नही होते, घाटी तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को वहां नौकरी पर जाने के लिए मजबूर न किया जाए। पलौड़ा में आयोजित सामुदायिक बैठक में कश्मीरी पंडितों ने कहा कि घाटी में हालात सामान्य नही।
ऐसे में वहां पर कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का काम कर पाना संभव नही हैं। यूथ आल इंडिया कश्मीरी समाज के प्रधान आरके भट्ट ने कहा कि घाटी में अल्प समुदाय के लोगों पर लक्ष्य रखकर आतंकियों द्वारा हमले किए जा रहे हैं। यह सिलसिला थमा नही। ऐसे में कश्मीरी पंडित कर्मचारी जोकि घाटी तैनात थे, को जम्मू व दूसरे क्षेत्रों में अपने घरों पर आना पड़ा।
मगर इन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को अब पुन: घाटी में डयूटी पर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। भट्ट ने कहा कि यह कर्मी कैसे घाटी में जा सकते हैं जबकि वहां पर हालात अभी ठीक नही है। इसलिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन से हमारी मांग है कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घाटी में डयूटी पर जाने के लिए विवश न किया जाए।
मौके पर पनुन कश्मीर के प्रधान विरेंद्र रैना ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन को चाहिए कि पहले कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा के बारे में सोचे। घाटी में यह कर्मचारी कैसे रह सकते हैं, इसके बारे में सरकार को बताना चाहिए कि उनके पास क्या बंदोबस्त है। बहरहाल वर्तमान हालात को देखकर लगता है कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को घाटी में डयूटी पर आने के लिए मजबूर नही किया जाना चाहिए। सरकार को पहले हालात सामान्य बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।
वहीं संजय गंजू ने कहा कि इस समय घाटी में छह हजार कश्मीरी पंडित कर्मचारी तैनात हैं और इसमें से चार हजार कर्मी वापस आ चुके हैं। जो कर्मी घाटी में विभिन्न कैंपस में हैं, उनकी सुरक्षा यकीनी बनाई जानी चाहिए।