Kashmir Situation: आतंक के गढ़ से अफसरों की पौध होगी पैदा, कश्मीर की फिजां लगातार बदल रही
कश्मीर की फिजां लगातार बदल रही है। आतंकवाद से सबसे अधिक ग्रस्त रहे दक्षिण कश्मीर से अब अफसरों की पौध पैदा होगी।
जम्मू, रोहित जंडियाल। कश्मीर की फिजां लगातार बदल रही है। आतंकवाद से सबसे अधिक ग्रस्त रहे दक्षिण कश्मीर से अब अफसरों की पौध पैदा होगी। शोपियां जिले में इन दिनों युवाओं में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) और कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) के अधिकारी बनने का जुनून है। यही कारण है कि जब प्रशासन ने युवाओं को अधिकारी बनने के लिए निशुल्क कोचिंग करवाने का फैसला किया तो बड़ी संख्या में युवा सामने आए। इनमें छात्राएं भी शामिल हैं।
जिला प्रशासन शोपियां ने युवाओं को अधिकारी बनाने के लिए पहल की है। इसके लिए प्रशासन ने युवाओं के स्क्रीनिंग टेस्ट लेने का फैसला किया। डिप्टी कमिश्नर (डीसी) शोपियां चौधरी मुहम्मद यासीन ने खुद इसकी कमान संभाली। वह युवाओं की सहायता करने के लिए आगे आए। स्क्रीनिंग टेस्ट आइएएस और केएएस प्रीलिम्स के पैटर्न पर था। जिले से चार सौ से अधिक युवा जिनमें बड़ी संख्या में छात्राएं भी शामिल थी, टेस्ट में भाग लेने के लिए आईं। टेस्ट के परिणाम जल्दी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) की वेबसाइट पर होंगे। इसे पास करने वालों को जिला प्रशासन निशुल्क को¨चग देगा।
टेस्ट में आए युवाओं के साथ डिप्टी कमिश्नर ने भी मुलाकात की। उन्होंने युवाओं को अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत के साथ करने को कहा। युवा भी काफी उत्साहित नजर आए। प्रशासन से उन्हें प्रीलिम्स और मुख्य परीक्षा की को¨चग देने के लिए कहा।
पहले बहला फुसलाते थे आतंकी संगठन :
शोपियां वही जिला है जहां युवाओं को पहले आतंकी संगठन बहला फुसला कर आतंकवाद की राह में धकेलते थे। इस कारण दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले को सबसे अधिक आतंकवाद से प्रभावित समझा जाता था। हालांकि अभी भी दक्षिण कश्मीर में आतंकी सक्रिय हैं, लेकिन युवा उनकी चालों को समझ चुके हैं। अब कश्मीर में लगातार आतंकवाद में कमी आ रही है। स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। प्रशासन भी युवाओं की प्रतिभा को तराशने के लिए लगातार इस प्रकार के प्रयास कर रहा है। शोपियां में जिला प्रशासन के इस कदम से नई शुरुआत होने की उम्मीद जगी है।
पहले भी हुए हैं प्रयास :
कश्मीर में पहले भी इस प्रकार के प्रयास हुए हैं। श्रीनगर जिला प्रशासन ने युवाओं को निशुल्क कोचिंग दी। यही नहीं आइआइटी के लिए भी कोचिंग दी जाती है। कोचिंग लेने के लिए श्रीनगर में भी युवाओं में उत्साह रहता है। इसे सुपर-30 का नाम दिया गया। लेकिन आतंकग्रस्त शोपियां में आइएएस की कोचिंग के लिए पहली बार प्रयास हो रहा है।
कई बन चुके आइएएस अधिकारी :
कश्मीर में पूर्व नौकरशाह शाह फैसल के आइएएस करने के बाद युवाओं में प्रशासनिक सेवाओं में जाने के लिए होड़ मची। साल 2009 में फैजल शाह, 2016 में अतहर आमिर और 2017 में बिलाल ने आतंकवाद ग्रस्त जम्मू-कश्मीर की फिजां को बदलने का काम किया। पांच वर्षों में 60 युवा संघ लोक सेवा (यूपीएससी) की प्रतिष्ठित परीक्षा में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं। इसके पहले जहां चयन सूची में राज्य के सिर्फ एक या दो ही युवा होते थे, साल 2010 के बाद इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने लगी। साल 2013 में तो राज्य के रिकॉर्ड 13 उम्मीदवारों ने आइएएस सूची में जगह बनाई। इनमें तीन महिला उम्मीदवार थीं। 13 में से आठ उम्मीदवार तो कश्मीर संभाग से ताल्लुक रखते थे। 2014 में युवाओं ने और रिकॉर्ड तोड़ा और सोलह युवाओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में अपना नाम दर्ज करवाया। इनमें छह जम्मू संभाग के दूरदराज के क्षेत्रों के थे।