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Kashmir Saffron: अब्दुल मजीद वानी ने दिलाई कश्मीर के केसर को पहचान, PM Modi ने भी हौसला बढ़ाया

वानी खुद भी 39 कनाल जगह पर केसर की खेती करते हैं। इसमें हर वर्ष सात से आठ किलोग्राम तक केसर की खेती हो जाती है। पिछले वर्ष पांपोर में स्पाइस पार्क बना था। अब केसर की पूरी प्रक्रिया इसी पार्क में की जाती है। इसका बहुत लाभ है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 07:25 AM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 08:12 AM (IST)
Kashmir Saffron: अब्दुल मजीद वानी ने दिलाई कश्मीर के केसर को पहचान, PM Modi ने भी हौसला बढ़ाया
करीब एक हजार किसान इस समय उनके साथ जुड़े हुए हें जो कि केसर की खेती करते हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: कभी कश्मीर के नाम पर बाजार में ईरान और स्पेन जैसे देशों का केसर बिक जाता था। इससे जहां केसर के खरीदार ठगा सा महसूस करते थे तो वहीं कश्मीर के केसर उत्पादक निराश थे। आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे कई केसर उत्पादक तो इसकी खेती से ही पीछे हट रहे थे, लेकिन पुलवामा जिले के ख्रियूसर गांव के अब्दुल मजीद वानी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने केसर को अलग पहचान दिलाने के लिए संघर्ष किया। अखिर उनका संघर्घ रंग लाया और इस साल कश्मीरी केसर को जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्रेशन मिल गया।

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वानी चार दशकों से भी अधिक समय से केसर की खेती कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें तब खुशी मिलती है जब कश्मीर के केसर को दुनिया भर में पसंद किया जाता है, लेकिन कई बार इसके नाम पर जब ठगी होती थी तो दुख भी होता। इसका दर्द सभी कश्मीर के केसर उत्पादकों को था। इसे अलग पहचान दिलाने के लिए कई वर्षों से प्रयास किए लेकिन इसकी अनदेखी हो जाती थी।

इस साल जब सरकार ने केसर को जीआइ टैग मिला तो लगा कि वर्षों की मेहनत रंग लाई है। वानी खुद भी 39 कनाल जगह पर केसर की खेती करते हैं। इसमें हर वर्ष सात से आठ किलोग्राम तक केसर की खेती हो जाती है। पिछले वर्ष पांपोर में स्पाइस पार्क बना था। अब केसर की पूरी प्रक्रिया इसी पार्क में की जाती है। इसका बहुत लाभ है।

कश्मीर का केसर बढ़िया है : वानी

वानी ऑल जेएंडके सैफरॉन ग्रोअर्ज डेवलपमेंट मार्केङ्क्षटग एसोसिएशन के प्रधान भी हैं। उनका कहना है कि हमारा केसर बहुत बढ़िया है, लेकिन सही मार्केङ्क्षटग न होने के कारण इसके नाम पर दूसरे देशों का केसर बिकता था। अब जीआइ टैग मिलने से हमारे केसर की पहचान, खुशबू और हमारे हित हमेशा के लिए संरक्षित रहेंगे। अब केसर की कीमत में बढ़ोतरी भी होगी और बहुत से किसान जो बीते कुछ वर्षों के दौरान केसर के खेतों से दूर हो गए थे, अब जुड़ना शुरू हो गए हैं। करीब एक हजार किसान इस समय उनके साथ जुड़े हुए हें जो कि केसर की खेती करते हैं।

प्रधानमंत्री ने हौसला बढ़ाया : वानी मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनका नाम लिए जाने पर भी खुश हैं। उनका कहना है कि उन्हें बहुत खुशी हुई है कि प्रधानमंत्री ने उनके नाम का जिक्र किया। इससे उनका हौसले और बुलंद हुए हैं। इससे कश्मीर के केसर को और ख्याति मिलेगी। पूरी दूनिया में अब कश्मीर कस केसर अपनी खुशबू बिखरेगा। केसर तो स्वीडन, स्पेन, ईरान, इटली, फ्रांस और ग्रीस में भी होता है, लेकिन कश्मीर में पैदा होने वाला केसर अपने गुणों से सभी पर भारी पड़ता है। कश्मीर में केसर की कृषि का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है।

पांच सौ रुपये प्रति ग्राम तक है कीमत: कश्मीर के केसर की कीमत उसकी गुणवत्ता के आधार पर ही बाजार में है। वानी का कहना है कि केसर अपनी गुणवत्ता के आधार पर बाजार में 200 से लेकर 500 रुपये प्रति ग्राम बिकता है। कश्मीर का केसर भारत की कई कंपनियों के अलावा दुबई और सऊदी अरब में भी बिकता है। भारत में तो कई जगहों पर केसर की मांग है।  


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