संभलने का मौका ही नहीं दिया था दुश्मन सैनिकों को
सतीश शर्मा बिश्नाह कारगिल युद्ध में बहादुर भारतीय सैनिक हौसले से इतने लबरेज थे कि दुश्मन सैनि
सतीश शर्मा, बिश्नाह
कारगिल युद्ध में बहादुर भारतीय सैनिक हौसले से इतने लबरेज थे कि दुश्मन सैनिकों को संभलने का मौका ही नहीं दिया। हालांकि दुश्मन पहले से ऊंचे पहाड़ों पर डेरा जमाए बैठे थे। भरतीय सेना ने ऐसी रणनीति तैयार की कि पाकिस्तानी सेना की एक न चली। हमारे शूरवीरों ने एक-एक पाकिस्तानी सैनिक को मार गिराया था। यह कहना है कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले बिश्नाह के वार्ड नंबर 12 के कनवल शर्मा का। वह 12 जैकलाई के जवान थे और कारगिल में कई दुश्मनों के दांत खट्टे करते हुए विजय हासिल करने में भूमिका निभाई थी।
दैनिक जागरण से बातचीत में कनवल शर्मा ने कहा कि अभी हम फर्स्ट ग्लेशियर काट कर लौटे ही थे कि कूच करने का आदेश मिल गया। जाना कहां है, यह नहीं बताया गया था। हमने हथियार उठाए और चल दिए। हमें सबसे पहले कुकडथांग क्षेत्र में उतारा गया, जहां से हमारा मिशन था कि दुश्मन की चेन काटो। हमने चेन को इस तरह से काटा कि दुश्मन तो ऊपर पहाड़ पर था, लेकिन पीछे उनकी मदद को कोई न पहुंच सके। बीच के सभी रास्तों पर कब्जा जमा लिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए वहां घुसपैठ कर आए पाकिस्तानी सैनिकों को मार कर पोस्टों को अपने कब्जे में ली थी। इस दौरान हमारे कई साथी बलिदान भी हो गए। इसमें बिश्नाह के तरसेम लाल भी शामिल थे। हम नहीं भूल सकते कि किस तरह से 13 जैकलाई के जवान रणनीति के तहत एक-एक चोटी को फतह करते जा रहे थे। उस समय हमारे परिजनों को भी नहीं पता था कि हम युद्ध कर रहे हैं। सुखद अनुभव यह था कि स्थानीय लोग हमारे लिए खाना पहुंचाते थे। हमें रास्तों के बारे में बताते थे। युद्ध जीतने में स्थानीय लोगों की उस मदद को भी नहीं भुला सकते। जब हम तिरंगा फहरा कर लौटे तो हर शहर, हर चौक पर जो हमारा स्वागत हुआ था। भारतीय सेना विश्व में सर्वश्रेष्ठ है, यह कहते हुए हमें गर्व होता है। उसी के चलते मैंने अपने बेटे धीरज को भी सेना में भेजा है।