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Jammu:रविवार को है कमला पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत, जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान करें

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 05:36 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 05:41 PM (IST)
Jammu:रविवार को है कमला पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत, जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान करें
एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : कमला पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत 27 सितंबर रविवार को है। पुरुषोत्तम मास, मलमास में पड़ने के कारण इस एकादशी का नाम पुरुषोत्तमा एकादशी पड़ा है। इस एकादशी को कमला, पद्मिनी आदि नामो से भी जाना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार पति और पत्नी अगर संतान की कामना को लेकर मलमास की कमला पुरुषोत्तम एकादशी के व्रत को करते हैं तो उन्हें सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।

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एकादशी के व्रत को करने से व्रती को अश्वमेघ यज्ञ, जप, तप, तीर्थों में स्नान-दान से भी कई गुना शुभफल मिलता है। एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को अपने चित, इंद्रियों और व्यवहार पर संयम रखना आवश्यक है। एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है सीखाता है।इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है।यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। कोरोना महामारी के चलते घर में ही पूजन, स्नान एव दान करें।

एकादशी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं। लेकिन जब तीन साल में एक बार अधिकमास, मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस दिन जो व्यक्ति दान करता है वह सभी पापों का नाश करते हुए परमपद प्राप्त करता है। इस दिन ब्राह्माणों एवं जरूरतमंद लोगों को फल, वस्त्र, मिष्ठानादि, दक्षिणा आदि यथाशक्ति दान करें।

इस दिन श्रीगणेश जी, श्री लक्ष्मी नारायण तथा देवों के देव महादेव की भी पूजा की जाती है।श्री लक्ष्मीनारायण जी की कथा एवं आरती अवश्य करें अथवा कथा पक्का सुने।एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है।इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्व है।एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है।अधिक मास की एकादशी का धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है। व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। जो मनुष्य इस दिन भगवान श्री लक्ष्मीनारायण जी की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है। 


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