नजरबंद नेताओं को रिहा कर लोगों से सीधी बात करें मोदी
नजरबंद नेताओं को रिहा कर प्रधानमंत्री जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ करें सीधी बातचीत
राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया व राजनीतिक गतिविधियां बहाल करने के लिए नेशनल कांफ्रेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजरबंद नेताओं को छोड़कर सीधी बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की आवाज उठाई है।
नेकां ने पार्टी के प्रधान फारूक अब्दुल्ला पर लगे पब्लिक सेफ्टी एक्ट की अवधि तीन महीने बढ़ाने का विरोध किया है। कहा है कि उन जैसे कद्दावर नेता पर रोक लगाना किसी पार्टी की विचारधारा पर प्रतिबंध लगाने जैसा है। यह मुद्दा रविवार को शेर-कश्मीर भवन में जम्मू में नेकां के कार्यवाहक प्रधान देवेंद्र सिंह राणा ने संवाददाता सम्मेलन में उठाया। राणा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के सभी खित्तों के लोगों की अलग अलग आकांक्षाएं हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री लोगों से सीधे बातचीत कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया व राजनीतिक हालात की बेहतरी सुनिश्चत करें। लोकतंत्र को मजबूत बनाने और विकास को तेजी देने के लिए ऐसा होना बहुत जरूरी है।
अनुच्छेद 370 व 35 ए को लेकर पार्टी की आगे की रणनीति संबंधी प्रश्न के उत्तर में राणा ने कहा कि नेकां नेतृत्व को छोड़े जाने के बाद यह फैसला राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लिया जा सकता है। राणा ने कहा कि इस समय हमारा साठ प्रतिशत के करीब नेतृत्व नजरबंद है। छोड़े जाने के बाद ही पार्टी इस दिशा में कोई फैसला कर सकती है। फारूक और उमर को छोड़े जाने के बाद आगे की रणनीति तय कर इसका खुलासा किया जाएगा। राष्ट्रवादी होने के लिए किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं
फारूक की हिरासत का हवाला देते हुए राणा ने कहा कि हम मानते हैं कि नेताओं को बंद करने से जम्मू कश्मीर में एक राजनीतिक खालीपन पैदा हो गया हैं। यह न तो देश के लिए ठीक है और न ही जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए सही है। राणा ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला मुख्यधारा की राजनीति के अग्रणी हैं। उन पर पीएस लगाना गैर जरूरी व असंवैधानिक है। उन्हें राष्ट्रवादी होने के लिए किसी का सर्टिफिकेट लेने की भी कोई जरूरत नही है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ जेनेवा में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। राणा ने कहा कि पार्टी के संस्थापक शेख मोहम्मद ने टू नेशन थ्योरी को नकार कर भारत, इसके संविधान व धर्मनिपरेक्ष लोकतांत्रिक प्रणाली को चुनकर देश का झंडा ऊंचा रखा।
अगर हालात सामान्य तो नेता नजरबंद क्यों
उप राज्यपाल जीसी मुर्मू के जल्द जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने की घोषणा का हवाला देते हुए राणा ने कहा कि अगर हालात सामान्य हैं तो तीन बार मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री व पांच बार सांसद रहे फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में क्यों रखा गया है। नजरबंद किए जाने से पहले के उमर अब्दुल्ला के ट्वीट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर नेशनल कांफ्रेंस व अब्दुल्ला शांति के लिए खतरा हैं तो प्रदेश में शांति प्रक्रिया व लोकतंत्र को आगे बढ़ावा वाला कोई नहीं है।