गावकदल कांड: जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक पुलिस हवालात में
Yasin Malik arrested, जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासिन मलिक को सोमवार को यहां गिरफ्तार कर लिया गया।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के लालचौक व उसके साथ सटे इलाकों में सोमवार को पीपुल्स पोलिटीकल पार्टी के आहवान पर पूर्ण बंद रहा। इस बीच, पुलिस ने जेकेएलएफ के चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक को एहतियातन हिरासत में लेने के अलावा मीरवाईज मौलवी उमर फारुक और साल्वेशन मूवमेंट के चेयर मै जफर अकबर बट समेत छह अन्य अलगाववादी नेताओं को उनके घरों में नजरबंद कर दिया। पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन हिलाल वार को पुलिस ने गत इतवार को ही गिरफतार कर लिया था।
गौरतलब है कि हुर्रियत कांफ्रेंस समेत विभिन्न अलगाववादी संगठनों के साझा मंच ज्वायंट रजिस्टेंस लीडरशिप जेआरएल के प्रमुख घटक पीपुल्स पोलिटीकल पार्टी ने गॉवकदल कांड की बरसी पर आज यानी 21 जनवरी को श्रीनगर के सीविल लाईंस इलाकों में बीते सालों की तरह बंद का आहवान करते हुए एक रैली का एलान किया था। इस रैली में मीरवाईज मौलवी उमर फारुक समेत सभी प्रमुख अलगाववादी नेताओं ने भी भाग लेना था।
अलबत्ता, अलगाववादियों की प्रस्तावित रैली के दौरान हिंसा भड़कने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने गत रोज ही इससे निपटने की कवायद के तहत हिलाल वार को उनके घर से गिरफतार कर लिया था। इसके साथ ही मीरवाईज मौलवी उमर फारुक, जावेद मीर, अशरफ सहराई, प्रो बट को पुलिस ने उनके घरों में नजरबंद कर दिया। जेकेएलएफ केचेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक किसी तरह पुलिस को चकमा देकर नजरबंदी से बच गए। लेकिन आज सुबह जब वह गावकदल में रैली के लिए अपने समर्थकों संग निकलने वाले थे कि पुलिस ने उन्हें घेर लिया। पुलिस ने मलिक को उनके घर से पकड़ा। उन्हें कोठीबाग पुलिस स्टेशन की हवालात में बंद रखा गया है।
इस बीच, गावकदल के साथ सटे लालचौक,मैसूमा,बसंतवाग, हब्बाकदल,करालखुड, समंद्रबाग समेत विभिन्न इलाकों में गावकदल कांड पर अलगाववादियों द्वारा बुलाए गए बंदका असर सामान्य जनजीवन पर पूरी तरह नजर आया। मैसूमा और गावकदल में प्रशासन ने आने जाने के विभिन्न रास्तों को भी बंदकर रखा था।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि 21 जनवरी 1990 को गावकदल में एक राष्ट्रविरोधी रैली में शामिल कथित आतंकियाें ने सुरक्षाबलों पर गोली चलाई थी।इसके बाद सुरक्षाबलों ने भी गोली चलाई थी और उसके बाद वहां मची अफरा-तफरी व हुई फायरिंग में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अलगाववादी खेमा इस घटनाके लिए सुरक्षाबलों को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए गावकदल कांड को कश्मीर का जलियांवाला कांड करार देते हुए हर साल इसकी बरसी पर बंद का आयोजन करता है।