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जेके कोऑपरेटिव हाउसिग कॉरपोरेशन ने जेडीए की भूमि पर कब्जा कर बनाए फ्लैट

जेएनएफ जम्मू जम्मू शहर से सटे तवी विहार सिद्दड़ा में रिवर कैसल अपार्टमेंट को लेकर उत्प

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2020 06:56 AM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2020 06:56 AM (IST)
जेके कोऑपरेटिव हाउसिग कॉरपोरेशन ने जेडीए की भूमि पर कब्जा कर बनाए फ्लैट
जेके कोऑपरेटिव हाउसिग कॉरपोरेशन ने जेडीए की भूमि पर कब्जा कर बनाए फ्लैट

जेएनएफ, जम्मू : जम्मू शहर से सटे तवी विहार सिद्दड़ा में रिवर कैसल अपार्टमेंट को लेकर उत्पन्न हुए विवाद में जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने हाईकोर्ट को बताया है कि जम्मू-कश्मीर कोऑपरेटिव हाउसिग कॉरपोरेशन ने जेडीए की जमीन पर कब्जा कर यह फ्लैट तैयार किए हैं। जेडीए ने एडवोकेट राजेंद्र सिंह जम्वाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान स्टेटस रिपोर्ट पेश की। जनहित याचिका में कहा गया कि कॉरपोरेशन ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर फ्लैट बनाए, जिस कारण लोगों की जिदगी भर की कमाई फंस गई। मामले में हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान जेडीए को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट में जेडीए ने कहा कि कॉरपोरेशन ने सिद्दड़ा के खसरा नंबर 3-1 में जेडीए की सात कनाल पांच मरला जमीन पर कब्जा कर अपार्टमेंट बनाए। जब जेडीए को इसकी जानकारी मिली, तो जेडीए ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राजस्व अधिकारियों से अपनी जमीन की निशानदेही करवाई।

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जेडीए की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया कि जम्मू के डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर गठित टीम ने जमीन की निशानदेही की, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि कॉरपोरेशन ने जेडीए की जमीन पर कब्जा किया है। इसके बाद कॉरपोरेशन ने जेडीए से संपर्क किया और अपील की कि या तो जमीन के बदले कॉरपोरेशन की दूसरी जमीन ले ली जाए या बाजार के दाम पर जमीन की कीमत लेकर मसला खत्म किया जाए।

स्टेटस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इससे पहले कि यह मसला हल हो पाता, कॉरपोरेशन ने फ्लैट निर्माण शुरू कर दिया, जिससे जेडीए के पास काम रुकवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। इस बीच कॉरपोरेशन ने जेडीए के डायरेक्टर लैंड मैनेजमेंट की ओर से 12 सितंबर 2012 को जारी आदेश को कोर्ट में चुनौती दे दी। जेडीए ने वर्ष 2014 में इस मामले में अपना पक्ष रखा, लेकिन इसके बाद बिल्डर हारिजन कंस्ट्रक्शन की ओर से कोर्ट में एक और केस दायर कर स्टे ले लिया गया। इसमें जेडीए को निर्माण में किसी तरह का हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया गया, लेकिन हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मामले के निपटारे तक बिल्डर चाहे तो अपने रिस्क पर निर्माण कर सकता है। इस कारण यह निर्माण हुआ।


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