जेके बैंक की नींव मजबूत, नहीं होगा विलय : छिब्बर
जेएंडके बैंक के चेयरमैन आरके छिब्बर ने बैंक के ग्राहकों को विश्वास दिलाया कि उनका बैंक पूरी तरह से सुरक्षित है और इसका विलय नहीं होगा।
जम्मू, जागरण संवाददाता । पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के संकट में आने के बाद जम्मू-कश्मीर बैंक के विलय की तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए बैंक के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर आरके छिब्बर ने कहा है कि बैंक की नींव काफी मजबूत है और इसका कोई विलय नहीं हो रहा। छिब्बर ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक में हुए घटनाक्रम के दौरान कुछ निहित स्वार्थ के लोगों ने जेएंडके बैंक को लेकर अफवाहें फैलाना शुरू कर दी हैं जिससे निवेश में गिरावट आई है। वह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि बैंक का विलय नहीं होने जा रहा।
छिब्बर ने बैंक के ग्राहकों को विश्वास दिलाया कि उनका बैंक पूरी तरह से सुरक्षित है और बैंक की 12 हजार मानव क्षमता एक कुशल नेतृत्व के मार्गदर्शन में पूरी पारदर्शिता व प्रोफेशनल ढंग से काम कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर में अगस्त के बाद से जारी राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए चेयरमैन ने कहा कि इनका बैंक के कामकाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और न ही पड़ेगा। बैंक ने इससे भी बड़ी चुनौतियों का सामना किया है। उन्हें पूरा विश्वास है कि ग्राहकों के साथ राज्य सरकार के सहयोग व स्टाफ की प्रतिबद्धता से बैंक हर चुनौती का सामना करते हुए और भी सशक्त बनकर उभरेगा। जेएंडके बैंक में हुए करोड़ों रुपये के घोटालों का जिक्र करते हुए छिब्बर ने कहा है कि कुछ साल पहले कुछ बड़े लोन दिए गए थे और ये लोन खाते एनपीए हो गए थे जिनकी जांच हो रही है। इनका बैंक के मुनाफे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
जेएडंके बैंक की उच्च स्तरीय जांच हो : हर्षदेव सिंह
पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने जम्मू कश्मीर बैंक में ग्यारह सौ करोड़ के घोटाले की गहराई तक जांच की मांग की है। बड़े राजनीतिज्ञों को ऋण दिए जाने के मामलों की जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार मीडिया में राजनीतिक पार्टियों के नेता के नाम सामने आ चुके है। एंटी करप्शन ब्यूरो ऐसे नेताओं के खिलाफ जांच करने में नाकाम रही है। हर्षदेव ने कहा कि पैंथर्स पार्टी ने कुछ महीने पहले जम्मू कश्मीर बैंक में आरटीआइ दायर कर जानकारी मांगी थी। जानकारी मांगी गई थी कि एनपीए, बड़े ऋण हासिल करने वालों की जानकारी दी जाए। बैंक की तरफ से आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया।