झिड़ी मेले में श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार
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जागरण संवाददाता, जम्मू : डोगरा शौर्य की वीर गाथा का इतिहास समेटे डुग्गर के क्रांतिकारी किसान बाबा जित्तो की याद में आयोजित झिड़ी मेले में पूर्णिमा के तीसरे दिन भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। अलबत्ता दूसरे प्रदेशों से आए कई श्रद्धालु लौटना शुरू हो गए हैं। स्थानीय श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला अभी भी बना हुआ है।
क्रांतिकारी अमर शहीद बाबा जित्तो की शहादत को नमन करते हुए श्रद्धालुओं ने पहले बाबा तालाब में स्नान किया। उसके बाद झिड़ी में बाबा जित्तो और बुआ कौड़ी के मंदिर में दर्शन किए। दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का दिन भर मंदिर में तांता लगा रहा। बाबा तालाब में स्नान किए लिए दिन भर श्रद्धालु आते रहे। यहां स्थित बुआ कौड़ी के मंदिर में भी दिन भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बुआ कौड़ी के मंदिर में यह श्रद्धालु खिलौने लेकर पहुंचते रहे। मान्यता है कि बुआ ने जब शहादत दी थी उस समय उनके हाथ में खिलौने थे। वह खेलते हुए पिता की तलाश में शहीदी स्थल पर पहुंची थीं। जब उन्होंने वहां बाबा जित्तो का मृत शरीर देखा तो उन्होंने भी मौके पर शहादत दे दी। हरदोई, लखनऊ, सीतापुर, बरेली, बनारस के श्रद्धालुओं ने बताया कि उनके परिवार के सदस्य सदियों से इस मेले में आकर बाबा, बुआ कौड़ी के स्थान पर नतमस्तक होते रहे हैं। उन्हें भी इस स्थल पर आने से शांति मिलती है। इस कारण पिछले कई वर्ष से बाबा के स्थान पर आते हैं। उन्होंने बाबा जित्तो को डुग्गर विरासत का अमर प्रहरी बताया, जिन्होंने किसानों को ही नहीं हर व्यक्ति को अपने हक के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।
मेले में भाग लेने पहुंच रहे श्रद्धालुओं के लिए जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हर तरफ बाबा जित्तो और बुआ कौड़ी की कारकें, भेंटें गूंज रही हैं। पूर्वजों के गुनाह की माफी मांगी
पूर्णिमा के तीसरे दिन भी हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बाबा जित्तो व बुआ कौड़ी की अमर शहादत को याद करते हुए उनके दरबार में हाजिरी लगाई। अपने पूर्वजों के गुनाह की माफी मांगते हुए कुछ महिलाएं बाबा जित्तो व बुआ कौड़ी के दरबार में चौकी लेती हुई हाजिर हुई। उन्होंने बाबा से पूर्वजों की गलतियों की माफी मांगते हुए परिवार की खुशहाली की कामना की।