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रियासी जिले का झेड़ी गांव जम्मू-कश्मीर का पहला दुग्ध गांव बना, यहां के हर घर से आती है दूध की महक

झेड़ी गांव जम्मू जिले की अखनूर तहसील से सटा है। इसके एक तरफ चिनाब बहता है तो दूसरी ओर झेड़ी तवी है। झेड़ी में 200 परिवार बसते हैं जिनमें से अधिकतर पशुपालक हैं। विशेषकर खोया पनीर और बर्फी शुद्ध तथा स्वादिष्ट है जो यहां की दुकानों में मिल जाती है।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 08:02 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 08:02 AM (IST)
रियासी जिले का झेड़ी गांव जम्मू-कश्मीर का पहला दुग्ध गांव बना, यहां के हर घर से आती है दूध की महक
दूग्ध गांव बनाने की शुरुआत सबसे पहले स्थानीय महिला सविता देवी ने पांच गाय का यूनिट स्थापित कर की।

रियासी, राजेश डोगरा । प्राकृतिक सौंदर्य से सरोबार रियासी जिले के गांव झेड़ी के हर घर से दूध की महक आत्मनिर्भर होने का अहसास दिला रही है। पनीर, खोया मक्खन, घी सहित अन्य शुद्ध दुग्ध उत्पादनों के लिए झेड़ी जम्मू कश्मीर का पहला दुग्ध गांव बन गया है। आने वाले दिनों में यहां के दुग्ध उत्पादों का स्वाद प्रदेश के कोने-कोने में लोगों को मिलेगा।

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झेड़ी गांव जम्मू जिले की अखनूर तहसील से सटा है। इसके एक तरफ चिनाब बहता है तो दूसरी ओर झेड़ी तवी है। झेड़ी में 200 परिवार बसते हैं, जिनमें से अधिकतर पशुपालक हैं। यहां का विशेषकर खोया, पनीर और बर्फी शुद्ध तथा स्वादिष्ट है, जो यहां की दुकानों में मिल जाती है। झेड़ी गांव में लोगों की निजी स्तर पर 73 डेयरी हैं। इन डेयरियों में 370 गाय पाली गई हैं। गांव की 11 महिलाओं की सहकारी समिति भी बनाई गई है।

ऐसे हुई झेड़ी को दुग्ध गांव बनाने की शुरुआत

झेड़ी गांव के सरपंच गोपाल दास बनाथिया को कुछ माह पहले गाय पालने का विचार आया। 25 नवंबर को वह रियासी में पशु पालन विभाग के डॉक्टर विक्रांत से मिले। उन्होंने सरपंच को बताया कि पांच गाय का यूनिट स्थापित करने की विभाग ने योजना चलाई है। अगर गांव के लोग इच्छुक हों तो इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। सरपंच गोपाल ने रुचि दिखाई तो उसी समय डा. विक्रांत ने विभाग के मुख्य अब्दुल मजीद से मिलाया। सरपंच ने ठान लिया कि इस योजना का वह अपनी पंचायत के लोगों को लाभ दिलाकर रहेंगे।

विभाग के डायरेक्टर सागर दत्तात्रेय से बात करवाई। सरपंच गोपाल को मालूम हुआ कि सरकार की किसी गांव को दुग्ध गांव बनाने की योजना है। इसके लिए गांव में पांच गायों के 50 यूनिट स्थापित होना जरूरी है। सरपंच ने वहीं बैठे झेड़ी गांव को सामर्थवान बताते हुए दुग्ध गांव बनाने की मांग कर डाली। अधिकारियों ने भी इतनी गहरी रुचि दिखाई कि उसी दिन गांव के इच्छुक लोगों से मुलाकात का दौरा तय कर लिया। सरपंच ने फोन पर ग्रामीणों से संपर्क किया। फिर उसी दिन मिडिल स्कूल में स्थानीय लोगों की बैठक में झेड़ी को दुग्ध गांव बनाने की तरफ अगला कदम बढ़ाया। 27 नवंबर को सचिवालय में अधिकारिक तौर पर झेड़ी गांव को दुग्ध गांव बनाने का निर्णय ले लिया गया।

सविता देवी सबसे आगे रहीं

झेड़ी गांव को दूग्ध गांव बनाने की शुरुआत सबसे पहले स्थानीय महिला सविता देवी ने पांच गाय का यूनिट स्थापित कर की। 12 दिसंबर को लखनपुर गाय मंडी से अच्छी नस्ल की पांच गाय लाई गई। उसके दो सप्ताह बाद ही स्थानीय महिला लीला देवी ने भी पांच गाय लाकर खुद का डेयरी यूनिट शुरू कर दिया। लीला देवी ने कहा कि सरकार की योजना से यहां की महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी। वह चाहती हैं कि उनकी तरह और महिलाएं भी योजना का लाभ उठाने आगे आए। अभी तक यहां 57 यूनिट को स्वीकृति दी गई है जिन्हें स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। डेयरी के काम को आगे बढ़ाने के लिए महावीरा वूमेन डेयरी कोऑपरेटिव सोसायटी नाम से महिलाओं की समिति भी गठित कर दी है जिसकी अध्यक्ष की जिम्मेदारी गांव में पहला डेयरी यूनिट स्थापित करने वाली सविता देवी को सौंपी है।

महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी

स्थानीय सरपंच गोपाल दास बनाथिया ने कहा कि यह उनकी खुशकिस्मती है कि उन्हें इस योजना की जानकारी मिलने के बाद इसे परवान चढ़ाने में भी सफलता मिली। दुग्ध गांव के तौर पर यहां के लोग विशेषकर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी। स्थानीय लोगों से मिलकर उनका पूरा प्रयास रहेगा कि दुग्ध गांव के तौर पर झेड़ी गांव दूसरों के लिए प्रेरणा की मिसाल बन सके। विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना में डेयरी यूनिट स्थापित करने के लिए महिलाओं को दो लाख सब्सिडी, पुरुष तथा आम लोगों को एक लाख 75 हजार रुपये सब्सिडी देने का प्रविधान है। दुग्ध उत्पादन तैयार करने की मशीनों से लेकर जरूरी संसाधन तथा रेफ्रिजरेटर वैन खरीदने पर भी सब्सिडी है।


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