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Jammu Smart City: उपकरणों के अभाव में हांफ रहा स्वच्छता अभियान, मुहल्ले गंदगी से पटे

Swachh Bharat Mission in Jammu मेयर चंद्र मोहन गुप्ता का कहना है कि शहर के सभी 75 वार्डों के समुचित विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इन दोनों वार्डों के अलावा अन्य शहर की संकरी गलियों के लिए ठेले खरीदे गए हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 10:53 AM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 10:53 AM (IST)
Jammu Smart City: उपकरणों के अभाव में हांफ रहा स्वच्छता अभियान, मुहल्ले गंदगी से पटे
करीब दस हजार आबादी इससे प्रभावित है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: शहर के कई इलाकों में उपकरणों के अभाव में सफाई नहीं हो रही। जगह-जगह गंदगी के ढेर महामारी को न्यौता दे रहे हैं। इससे जम्मू नगर निगम के स्वच्छता अभियान को भी ग्रहण लग रहा है। सबसे बदतर हालत जम्मू के प्रसिद्ध बाहूफोर्ट क्षेत्र की हैं जहां माता काली बावे वाली के दर्शनों और बाग-ए-बाहू, गंडोला की सैर को रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है।

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यह हालत तब है जब जम्मू नगर निगम स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर चुका है। अफसोस की बात है कि नगर निगम के स्वच्छता अभियान मुख्य सड़कों, वीआईपी कालोनियों और वातानुकूलित दफ्तरों से बाहर निकल कर गरीब लोगों की बस्तियों तक नहीं पहुंच रहे। बाहूफोर्ट की शाहबाद कालोनी, म्हाशा मुहल्ला, राजीव कालोनी, कालिका कालोनी व आसपास के इलाके इसका जीवंत उदाहरण हैं। करीब दस हजार आबादी इससे प्रभावित है।

बाहूफोर्ट क्षेत्र के एंट्री प्वाइंट यानि स्वागती द्वार के साथ लगती कालिका कालोनी हो या फिर गोरखा मुहल्ला सरकारी अनदेखी इनमें घुसते ही नजर आने लगती है। गंडोला साइट के नजदीक म्हाशा मुहल्ला तो किसी भी तरह से शहर का हिस्सा नहीं लगता। यहां आलम यह है कि गलियों में नालियां गंदगी से पटी पड़ी हैं। कभी-कभार इन नालियों को साफ कर भी लिया जाता है लेकिन कचरा नहीं उठाया जाता। मुंह पर रुमाल रखकर ही इस संकरी गलियां वाले मुहल्ले का चक्कर काटा जा सकता है।

लोग तो गंदगी के साथ रहने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें गरीबी की मार है। गरीब होने का ही नतीजा है कि न तो प्रशासन और न ही नगर निगम के अधिकारी कभी इस मुहल्ले के दौरे पर पहुंचे। कॉरपोरेटर, मेयर भी ऐसे इलाकों में आने से कतराते हैं। अपनी राजनीति चमकाने के चक्कर में चुनावों के दौरान तो सक्रिय दिखते हैं, फिर कोई पूछता नहीं। म्हाशां मुहल्ला में पड़े खाली प्लाट तो मानों डंपिंग साइट बने हुए हैं। ऐसा ही हाल बाहूफोर्ट के दोनों वार्डों 47 और 48 के लगभग सभी मुहल्लों का है।

क्या कहते हैं जन प्रतिनिधि: वार्ड नंबर 47 की कॉरपोरेटर शारदा कुमारी का कहना है कि वार्ड में अधिकतर लोग गरीब हैं बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले हैं। यहां मुहल्लों में सफाई के लिए ठेले नहीं हैं। गरीब लोग हैं तो यूजर चार्ज भी नहीं देते। ऐसे में निगम ने यहां कचरा उठाने के लिए आटो भी नहीं लगाए हैं। जिस कारण कचरा उठाने में बड़ी दिक्कतें हो रही हैं। मेयर समेत निगम अधिकारियों के संज्ञान में मामले को लाया गया है लेकिन यूजर चार्ज बढ़ाने पर ही जोर दिया जा रहा है।

वार्ड नंबर 48 के कॉरपोरेटर शाम लाल का कहना है कि जनरल हाउस में भी इस मुद्दे को उठाया कि वार्ड में सफाई कर्मचारियों के पास उपकरण नहीं हैं। पर्याप्त सफाई कर्मचारी भी नहीं हैं। लकड़ी के ठेले, बेलचे व अन्य उपकरण जब सफाई कर्मचारियों को नहीं मिलेंगे तो वो काम कैसे करेंगे। निगम परवाह नहीं कर रहा है। सिर्फ लोगों की जेब टटोलने का काम किया जा रहा है। पहले सुविधाएं दी जाएं फिर लोगों की जेब ढीली की जाए तो समझ आता है। बाहूफोर्ट के अधिकतर मुहल्ले विकास से अछूते हैं। निगम प्रशासन परवाह नहीं कर रहा।

मेयर चंद्र मोहन गुप्ता का कहना है कि शहर के सभी 75 वार्डों के समुचित विकास के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इन दोनों वार्डों के अलावा अन्य शहर की संकरी गलियों के लिए ठेले खरीदे गए हैं। कुछेक दिन में इन्हें उपलब्ध करवा दिया जाएगा। स्वच्छता अभियान को जारी रखा गया है। लोग भी सहयोग करें। घरों के कचरे को खुले में न फेंक कर डस्टबिन या किसी चीज में डालकर रखें। फिर इसे निगम कर्मचारियों को सौंपे तभी शहर स्वच्छ बनेगा। 


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