Move to Jagran APP

मौज मस्ती से सेवा की राह पर चल पडे़ सिख युवा, कोरोना पीड़ितों को रिश्तेदारों से ज्यादा भरोसा

इस वर्ष लाकडाउन शुरू होते ही उन परिवारों के खाने की व्यवस्था शुरू की जो कोरोना संक्रमित हैं। इस समय 80 के करीब परिवार ऐसे हैं जो कोरोना संक्रमित हैं और जिनके घर में खाना पकाने वाला कोई नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 10:37 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 12:50 PM (IST)
मौज मस्ती से सेवा की राह पर चल पडे़ सिख युवा, कोरोना पीड़ितों को रिश्तेदारों से ज्यादा भरोसा
आज कई युवा जरूरतमंदों एवं दीन दुखियों की सेवा के लिए तत्पर हैं।

जम्मू, अशोक शर्मा: आज कोविड-19 संक्रमण के दौर में हर कोई जिंदा रहने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। पड़ोसी संक्रमित हो जाए तो पड़ोसियों का दूरी बनाना भी आम बात है। रिश्तेदार अपनी जान बचाने के लिए कोरोना मरीजों की मदद से मुंह मोड़ रहे हैं तो

loksabha election banner

डर और आशंका के इस माहौल में सिख मोटर साइकिल क्लब इंडिया उन लोगों का सहारा बना है। जिनके परिवार के सभी सदस्य कोरोना संक्रमित हो चुके हैं या जिनके घर में खाना तक बनाने वाला कोई नहीं। यह युवा बिना किसी भेदभाव के पीड़ित मानवता की सेवा करने के लिए हर समय तैयार हैं। इनसे प्रेरित होकर आज कई युवा जरूरतमंदों एवं दीन दुखियों की सेवा के लिए तत्पर हैं।

इन सिख युवाओं का जोश ऐसा है कि इन्हें अपने से दूसरों की ज्यादा चिंता है। इनका कहना है कि जम्मू के युवाओं की तासीर ही कुछ ऐसी है। जब- जब विपदा आयी है। मदद के लिए एक साथ कई हाथ उठे हैं। दिन रात मदद को जुटे इन युवाओं का कहना है कि उनके बुजुर्गों ने उन्हें हमेशा दूसरों की सेवा करने के संस्कार दिए हैं। वाहे गुरु ने सेवा के काबिल बनाया है तो वह उसके हुक्कम का पालन कर रहे हैं। इंसान-इंसान के काम नहीं आएगा तो फिर मानवता कैसे जीवित रहेगी।

सिख मोटर साइकिल क्लब में 18 से 50 वर्ष आयुवर्ग के 38 सदस्य हैं। यह क्लब जरनैल सिंह काला, हरप्रीत सिंह सासन, रजतदीप सिंह के नेतृत्व में चल रहा है। हरप्रतीत सिंह सासन ने बताया कि वर्ष 2014 में यह क्लब मौज मस्ती और राइडिंग के उद्देश्य से बनाया गया था लेकिन कुछ एक जगह घूमने के बाद अहसास हुआ कि ऐसे ही पैट्राेल बर्बाद करने का क्या मकसद है। क्यों न ऐसा किया जाए कि उन दूरदराज क्षेत्र के लोगों की मदद के लिए काम किया जाए यहां गाड़ी पहुंचना भी मुश्किल है।

यहीं से सेवा कार्य का दौर शुरू हुआ और तब से लगातार सेवा के कार्यों में जुटे हुए हैं। हमारे कुछ सदस्य नौकरी पेशा हैं तो कुछ छात्र हैं। अपनी जेब से पैसा खर्च कर ही सेवा कार्य चलते रहते हैं। जब से कोरोना संक्रमण शुरू हुआ है कोरोना पीड़ितों से सेवा में लगे हुए हैं। पिछले लाकडाउन के दौरान लंगर सेवा से लेकर जिसकी जो भी मदद कर सकते थे करते रहे।नाकों पर खडे़ सुरक्षा कर्मियों के लिए चाय का नियमित लंगर लगाया। कुछ जरूरतमंद लोगों तक सूखा राशन पहुंचाय। हमारा एक ही मकसद है कि कोई भूखा न सोए।

इस वर्ष लाकडाउन शुरू होते ही उन परिवारों के खाने की व्यवस्था शुरू की जो कोरोना संक्रमित हैं। इस समय 80 के करीब परिवार ऐसे हैं, जो कोरोना संक्रमित हैं और जिनके घर में खाना पकाने वाला कोई नहीं है। इन सभी परिवारों को दोपहर और रात का भोजन उनके घरों में पहुंचाया जा रहा है। काफी लोग हमारी सेवा को देखते हुए सेवा करना चाहते हैं लेकिन हम किसी से कोई पैसा नहीं लेते। न ही किसी के साथ अपना एकाउंट शेयर करते हैं। कुछ लोग सूखा राशन भेज देते हैं। कुछ औरतें रोटी पका कर रिहाड़ी गुरूद्वारें में सेवा दे रही हैं।

प्रशासन का नहीं मिल रहा सहयोग: हरप्रीत सिंह सासन ने कहा कि लाकडाउन में कोरोना पीड़ितों के घर रोटी पहुंचाने में प्रशासन का कोई सहयोग नहीं मिल रहा। रास्तें में कई जगह पूछताछ होती है। इसके अलावा हो सकता है कि कोरोना पीड़ित के घर के पास ही तार लगी हुई हो तो उनके कारसेवकों को सीधा घर जाने के बजाए दूसरे रास्ते से जाने के लिए कहा जाता है। इससे भोजन बांटने में काफी समय लग जाता है। हमारी इस सेवा से कोरोना संक्रमित घर से नहीं निकल रहे तो इससे भी चेन ब्रेक हो रही है। प्रशासन को समझना चाहिए कि जिन मरीजों की वह घरों में सेवा कर रहे हैं अगर उन्हें भी अस्पताल शिफ्ट होना पड़ा तो कितना प्रेशर बढ़ेगा। ऐसे में भोजन बांटने वाले युवाओं का थोड़ा सहयोग तो किया ही जा सकता है।

छह-छह युवाओं का ग्रुप कर रहा है काम: भोजन बांटने और तैयार करवाने के लिए छह-छह युवाओं के ग्रुप बनाए गए हैं ताकि अगर काम कर रहे एक भी सदस्य को कोरोना हो जाए तो उन छह को आराम देकर दूसरे छह को आगे लाया जा सके। हर एक युवा को अलग-अलग क्षेत्र बांटे हुए हैं। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। अगर किसी को कोई दबाई आदि लाने के लिए कहा जाता है तो वह काेरोना पीड़ित परिवारों को दबाई भी ला कर दे देते हैं। काम कर रहे युवाओं का कहना है कि आज तो काम करते हुए लगता है जैसे वह कोरोना पीड़ित परिवारों का हिस्सा हों।

सेवा करके अच्छा लगता है: 

  • कोरोना पीड़ित परिवरों की सेवा में जुटे सनमीत सिंह ने कहा कि सेवा कार्य करना हमेशा ही अच्छा लगता है। सामने वालों से जो प्यार मिलता है। उससे और भी प्रेरणा मिलती है। कुछ दिनों से काम करते हुए मन होता है कि जीवन सेवा कार्यों को समर्पित कर दूं। - सनमीत सिंह।

युवा चाहें तो कुछ भी मुश्किल नहीं

  • युवा चाहें तो मुश्किल से मुश्किल कार्य को भी आसान बना सकते हैं। टीम भाव के साथ काम करने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अच्छी जगह अच्छे कार्य करते रहने से व्यक्ति बुरी संगत से भी बच जाता है। इन दिनों जो कार्य कर रहा हूं तो लगता है कि मानवता से बढ़ कर कोई सेवा हो ही नहीं सकती। - इंजीनियरिंग स्टूडेंट अनिकेत सिंह।

बचपन से ही देश सेवा करने की चाहत

  • आज हर तरफ डर का माहौल है। लोग डर के चलते घरों से ही नहीं निकल रहे। लेकिन ऐसे माहौल में पीड़ितों को मदद की बहुत जरूरत है। शुरू से ही देश और देश के लोगों की सेवा करने की इच्छा रहती थी। इन दिनों कोरोना संक्रमितों की सेवा करके लग रहा है कि इंसान को कभी भी किसी की मदद से पीछे नहीं हटना चाहिए। - बैंक कर्मी अमनप्रीत सिंह

घर वालों की प्ररेणा से सेवा कार्यों से जुड़ा

  • घर परिवार के सदस्य हमेशा सेवा कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। अब जब कि हर तरफ काेरोना का कहर है। लोग डरे हुए हैं तो मैंने निर्णय लिया कि कोरोना संक्रिमतों की किसी न किसी तरीके से मदद की जाए। पिछले वर्ष भी हमारे क्लब के सदस्याें ने काफी अच्छा काम किया था। इस लिए इस वर्ष शुरू से ही कोरोना संक्रिमतों के घरों में खाना पहुंचाने का काम कर रहा हूं। अच्छा लग रहा है। अब तो सोचा है कि कुछ भी करूंगा, कहीं भी रहूंगा सेवा कार्य करता रहूंगा। - इंजीनियरिंग स्टूडेंट सवलीन सिंह।

हालात को देखते हुए निकलना पड़ा

  • इस समय जो हालात बने हुए हैं। उसे देखते हुए सेवा कार्य के लिए निकलना पड़ा। मुश्किल के समय में अगर युवा आगे नहीं आएगा तो कौन आएगा। ऐसे हालात में हर युवा को अपने लिए सेवा कार्य चुनना होगा। इस समय देश विपदा में है। हर एक व्यक्ति अगर अपना दायित्व समझेगा तो ही देश कोरोना पर विजय पा सकेगा। -इंजीनियरिंग छात्र रमण दीप सिंह।

मानवता को जिंदा रखना होगा

  • मानवता से ऊपर कुछ नहीं है। हम लोगों को जाति धर्म से उठकर मानवता के लिए काम करना चाहिए। इंसानियत के नाते हमें काम करते रहने में विश्वास करना चाहिए। हम अपने आप को किस्मत वाला समझते हैं कि किसी की सेवा करने का मौका मिला है। किसी भी बीमार की सेवा करना मानवता की सेवा है। विपदा के इस काल में हर किसी को अपने से कोई न कोई सहयोग जरूर करते रहना चाहिए। - एमकाम स्टूडेंट मलिंद्र राज सिंह।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.