Jammu: सात वर्षों से फरार भगोड़ा संजय काबू, कोर्ट में पेश कर जेल भेजा
बीसी रोड़ में हुए एक सड़क हादसे में संजय कुमार के विरुद्ध वर्ष 2014 में बस स्टैंड पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ था। कुछ ही दिनों में पुलिस ने जांच पूरी कर कोर्ट में आरोपित संजय के विरुद्ध चालान पेश कर दिया था।
जम्मू, जागरण संवाददाता: लापरवाही से वाहन चला कर लोगों की जान को खतरे में डालने के एक मामले में बीते सात वर्षो से फरार भगोड़े को बस स्टैंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपित संजय कुमार निवासी तालाब तिल्लो लगातार पुलिस को गच्चा देकर अपने छुपने के ठिकाने को बदल रहा था। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने संजय को कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया गया।
बीसी रोड़ में हुए एक सड़क हादसे में संजय कुमार के विरुद्ध वर्ष 2014 में बस स्टैंड पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ था। कुछ ही दिनों में पुलिस ने जांच पूरी कर कोर्ट में आरोपित संजय के विरुद्ध चालान पेश कर दिया था। कोर्ट में चल रही मामले की सुनवाई के दौरान संजय कोर्ट में पेश नहीं हुआ था। जिसके बाद कोर्ट ने उसे भगौड़ा करार देकर पुलिस को उसे पेश करने के निर्देश दिए थे।
पुलिस ने कई बाद संजय को दबोचने की लिए छापामारी की थी, लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था। मंगलवार को बस स्टैंड पुलिस को पुख्ता सूचना मिली की संजय कुमार अपने घर पर आने वाला है। इस सूचना पर पुलिस ने उसके घर पर नजर रखनी शुरू कर दी। जैसे ही संजय अपने घर पर आया तो वहां पहले से मौजूद पुलिस कर्मियों ने उसे पकड़ लिया। संजय को सीधे कोर्ट में ले जाया गया।
पीएसए खारिज: जानीपुर इलाके में दिन-दहाड़े हुई फायरिंग के मामले में हाईकोर्ट ने आरोपित होशियार सिंह पर लगाए गए पब्लिक सेफ्टी एक्ट(पीएसए) को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में न तो इस मामले में पीएसए लगाते समय ठोस तथ्य रखे गए और न ही सलाहकार बोर्ड के समक्ष केस पेश हुआ। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में पीएसए लगाते समय कानून के बुनियादी नियमों की अनदेखी की गई, लिहाजा पीएसए लगाने का फैसला कानून की नजर में गलत है।
वकीलों को आर्थिक सहयोग देने पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को वकीलों को आर्थिक सहयोग देने पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने मोहम्मद अबुबकर पंडित की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए। याचिका में हर वकील को 25 हजार रुपये की आर्थिक मदद दिए जाने की मांग करते हुए कहा गया कि पिछले साल लॉकडाउन होने पर सरकार ने वकीलों को आर्थिक मदद दी थी। इस बार भी लॉकडाउन हुआ। परिस्थितियां पहले की तरह ही है, लिहाजा सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जानी चाहिए। याचिका में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के वकीलों व उनके आश्रितों का स्वास्थ्य व जीवन बीमा करवाने की भी मांग की गई है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।