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Jammu Kashmir: आस्था के फूलों से सूर्य पुत्री के जख्मों पर मरहम, बनाई जा रही हैं अगरबत्तियां

फूलों के चूरे को एक पाउडर में मिलाकर मशीन में डाला जाता है। मशीन इस चूरे से अगरबत्ती तैयार कर देती है। इन अगरबत्तियां का बंडल बनाया जाता है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 05:47 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 05:47 PM (IST)
Jammu Kashmir: आस्था के फूलों से सूर्य पुत्री के जख्मों पर मरहम, बनाई जा रही हैं अगरबत्तियां
Jammu Kashmir: आस्था के फूलों से सूर्य पुत्री के जख्मों पर मरहम, बनाई जा रही हैं अगरबत्तियां

जम्मू, अंचल सिंह: मंदिरों के शहर में कभी कचरे का हिस्सा बनने वाले फूल अब जीवनदायिनी सूर्यपुत्री तवी नदी के जख्मों पर मरहम का काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं इससे कई परिवारों की रोजी-रोटी भी जुड़ गई है। जम्मू नगर निगम ने इन फूलों से अगरबत्तियां बनाना शुरू किया है।

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जम्मू नगर निगम ने शहर के पीरखोह स्थित श्री राम आश्रम और बाग-ए-बाहु के प्रेस मोड़ में फूलों से अगरबत्तियां बनाने की यूनिट लगाई हैं। निगम शहर के 20 मंदिरों से फिलहाल फूलों को एकत्र कर इन दोनों स्थानों पर ला रहा है। यहां रेडक्रॉस की मदद से अगरबत्ती बनाने की मशीनें लगाई गई हैं। इन फूलों को पहले यहां महिलाएं एकत्र करती हैं। फिर फूलों की छंटनी कर कचरे को अलग किया जाता है। इसके बाद फूलों को सुखाकर इसका चूरा बनाया जाता है।

शहर में ऐसा पहली बार हो रहा है कि फूलों से अगरबत्तियां बनाई जाने लगी हैं। पहले लोग घरों, मंदिरों से निकलने वाले फूलों को तवी नदी, नहरों व कचरे में फेंक दिया करते थे। अब निगम इनकी छंटनी करता है। निगम चार आटो लगाकर मंदिरों से इन फूलों को केंद्रों तक पहुंचाता है।

ऐसे बनती है अगरबत्ती: फूलों के चूरे को एक पाउडर में मिलाकर मशीन में डाला जाता है। मशीन इस चूरे से अगरबत्ती तैयार कर देती है। इन अगरबत्तियां का बंडल बनाया जाता है। फिर इन्हें धूप में सुखाया जाता है। सूखने के बाद 12 पीस एक डिब्बी में पैक किए जाते हैं। नगर निगम के लोगो वाली इन डिब्बियों में भरकर फिर अगरबत्तियां टाउन हाल में खोले गए आउटलेट में पहुंचा दी जाती हैं। यहां 10 रुपये प्रति डिब्बी बेची जाती है।

इन महिलाओं को मिला रोजगार: पीरखोह में श्री राम आश्रम में 19 महिलाओं के ग्रुप ने अगरबत्तियां बनाने का काम सीख लिया है। अनुराधा मेहरा की अध्यक्षता में रेखा, संतोष, कमलेश, बुन्ना, ममता, नीलम, निशा, नीना, राधा, चांदनी, शशि, सुमन, मालती, सोनिया, प्रकाशो, सुनीता, प्रवीण, उर्मिला अगरबत्तियां बनाने के काम को अंजाम तक पहुंचा रही हैं। कुछ महिलाएं तो बूटीक, स्कूल में काम छोड़कर इससे जुड़ी हैं। ऐसे ही प्रेस मोड़ में 12 महिलाओं का समूह अगरबत्तियां बनाने का काम कर रहा है। इन महिलाओं का कहना है कि बहुत अच्छा काम है। हमें काम करने का तो मौका मिला ही, अगरबत्तियां बनाना भी सीख लिया है। थोड़े समय के लिए घर से निकलर यहां काम करती हैं। निगम की तरफ से कुछ पैसे भी मिल रहे हैं। बहुत अच्छा लग रहा है।

  • पहले फूलों को तवी, नहर में फेंक दिया जाता था। अब सारे फूल निगम के ऑटो मंदिरों से उठाते हैं। इनसे फिर अगरबत्तियां बनाई जा रही हैं। सस्ते दाम में इन्हें निगम के आउटलेट में रखा गया है। कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इन्हें खरीदें। इस प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। मोहल्लों में आउटलेट खोलने की भी सोच रहे हैं। फिलहाल कोरोनो के चलते कामकाज थोड़ा प्रभावित है। -टीना महाजन, सचिव व नोडल ऑफिसर, स्वच्छ भारत मिशन, जम्मू नगर निगम 

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