Move to Jagran APP

Jammu: पैसे नहीं जज्बे से पढ़ाई करवा रहा तीन बेटियों का मजदूर पिता, दो बेटियां एमए और एक कर रही है बीए

अशोक कुमार का एक बेटा आयुष भी है जो अभी नौवीं कक्षा में पढ़ रहा है।उनका सपना बेटियों को एक मुकाम तक पहुंचते देखने का है। वह खुद मजदूरी करते हैं लेकिन जब बेटियों को एक एक सीढ़ी चढ़ते देखते हैं तो उनकी थकान दूर हो जाती है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 10:52 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 10:52 AM (IST)
Jammu: पैसे नहीं जज्बे से पढ़ाई करवा रहा तीन बेटियों का मजदूर पिता, दो बेटियां एमए और एक कर रही है बीए
कोरोना महामारी ने उनका काम भी छीना लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है।

जम्मू, सुरेंद्र सिंह: जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो, बेटियां भी घर में उजाला करती हैं। इसी सोच को लेकर मैरा ज्यौड़ियां के अशोक कुमार चल रहे हैं जो खुद तो मजदूरी करते हैं लेकिन उन्होंने अपने तीनों बेटियों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अशोक कुमार ने साबित कर दिखाया है कि अगर मन में जज्बा हो तो एक पिता कभी हार नहीं मान सकता, चाहे रास्ते में लाख परेशानियां ही क्यों न खड़ी हो जाएं।

loksabha election banner

अशोक कुमार की तीन बेटियों में सबसे बड़ी अंजु शर्मा जम्मू यूनिवर्सिटी से एमए सोशॉलॉजी कर रही है जबकि दूसरी बेटी तान्या भी पोस्ट ग्रजुएशन कर रही है। वहीं उनकी तीसरी व सबसे छोटी बेटी कणिका शर्मा मौजूदा समय डिग्री कालेज अखनूर में बीए द्वितीय सेमेस्टर में पढ़ाई कर रही है। कणिका वही बेटी है जिसका पिछले वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के लिए चयन हुआ था और उसके चयन ने साबित कर दिखाया था कि अगर बेटियों को मौका दिया जाए तो वे बेटों से भी दो कदम आगे निकल कर दिखा सकती है।

अशोक कुमार का एक बेटा आयुष भी है जो अभी नौवीं कक्षा में पढ़ रहा है। अशोक कुमार का कहना है कि उनका सपना बेटियों को एक मुकाम तक पहुंचते देखने का है। वह खुद मजदूरी करते हैं लेकिन जब बेटियों को एक एक सीढ़ी चढ़ते देखते हैं तो उनकी थकान दूर हो जाती है। वहीं अशोक कुमार की छोटी बेटी कणिका का कहना है कि उन्हें अपने पिता की मेहनत से प्रेरणा मिलती है।

वह हमारी पढ़ाई व पालन पोषण में कोई कसर नहीं छोड़ते। उन्हें मेहनत करते देख हमें अपनी मेहनत कम लगती है। वहीं अशाेक कुमार काे भी अपनी बेटियों पर गर्व है। उनका कहना है कि भगवान ने उन्हें तीन बेटियां दी है। वह खुद को खुशनसीब समझते हैं कि उनकी बेटियों ने उनका सिर गर्व से ऊंचा रखा है। कोरोना महामारी ने उनका काम भी छीना लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है।

कोरोना में हुआ काम बंद तो करने लगे ईट भट्ठे पर काम: अशोक कुमार यूं तो जम्मू शहर के वेयर हाउस में मजदूरी करते थे लेकिन कोरोना महामारी के चलते वेयर हाउस में काम बंद हुआ तो वह वापस अपने गांव मैरा ज्यौड़ियां चले आए। इस समय वह अपने गांव के पास ही एक ईट भट्ठे पर काम कर रहे हैं। अशोक कुमार का कहना है कि उनकी बेटियां उनका मान है। दो बेटियां यूनिवर्सिटी और एक कालेज में पहुंच गई है। जब वे कुछ बन जाएंगी तो मेरे संघर्ष की सारी थकान उतर जाएगी। अशोक कुमार का बेटा आयुष भी पढ़ने में अच्छा है। वह भी अपने पिता के संघर्ष से बाकिफ है। आयुष का कहना है कि वह बड़ा होकर अपने पिता का सहारा बनेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.