Pak में बढ़ते पोलियो के मामलों ने बढ़ाई जम्मू-कश्मीर की चिंता, वायरल इधर आने का भय सता रहा
पड़ोसी देश पाकिस्तान में लगातार पोलियो के मामले दर्ज हो रहे हैं। इस कारण भारत की चिंता अभी भी बरकरार है। इसी कारण अभी तक पल्स पोलियो अभियान जारी है।
जम्मू, रोहित जंडियाल। पाकिस्तान में इस साल फिर पोलियो के मामले सामने आने से भारत विशेषकर जम्मू-कश्मीर की चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को यह भय सता रहा है कि कहीं पाकिस्तान से पोलियो का वायरस इधर न आ जाए। इसी को देखते हुए इस साल फिर से पल्स पोलियो अभियान चलाया जाएगा। अभियान अगले साल जनवरी से शुरू होगा। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।
जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य भागों की तरह ही कई सालों से पोलियो का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। भारत को पहले से ही पोलियो उन्मुक्त देश घोषित कर दिया गया है। मगर पड़ोसी देश पाकिस्तान में लगातार पोलियो के मामले दर्ज हो रहे हैं। इस कारण भारत की चिंता अभी भी बरकरार है। इसी कारण अभी तक पल्स पोलियो अभियान जारी है। जम्मू-कश्मीर का एक बहुत बड़ा भाग पाकिस्तान के साथ लगता है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के साथ सटे होने के कारण हर समय भय रहता है कि कहीं पोलियो का वायरस पाकिस्तान से यहां न आ जाए। इसी को देखते हुए यहां का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग सदैव सतर्क रहता है।
19 से अभियान, सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष जोर: परिवार कल्याण विभाग के निदेशक डॉ. अरुण शर्मा का कहना है कि जब तक पड़ोसी देश में पोलियो के मामले आ रहे हैं, तब तक यहां पर पल्स पोलियो अभियान जारी रहेगा। सीमांत क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अगर बाहर का कोई भी बच्चा है तो उसे भी उस दिन वैक्सीन दी जाती है ताकि कोई भी बच्चा बिना वैक्सीन के न रहे। उन्होंने बताया कि 19 जनवरी से तीन दिन के लिए अभियान चलाया जाएगा। पहले दिन बूथ स्तर पर अभियान होगा। दो दिन घर-घर जाकर उन बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी जो कि पहले दिन बूथ पर नहीं जा सकेंगे।
हर साल बीस लाख के करीब बच्चों को दी जाती है वैक्सीन: जम्मू: केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही जगहों पर यह पहला पल्स पोलियो अभियान होगा। इनमें हर साल बीस लाख के करीब बच्चों को दो बूंद जिंदगी की पिलाई जाती है। इसके लिए हजारों कर्मचारियों के अलावा गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों की भी मदद ली जाती है। इस साल भी इसके लिए तैयारी चल रही है।
बर्फीले स्थानों पर चुनौती: इस साल समय से पहले ही कई क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और उनका मुख्य शहरों से संपर्क कटने के कारण इन स्थानों पर अभियान चलाना चुनौती होगा। इसके लिए कई क्षेत्रों में हेलीकाप्टर से भी वैक्सीन भेजी जाती है। परिवार कल्याण विभाग के निदेशक डा. अरुण का कहना है कि यहां की भौगेलिक स्थिति ऐसी है कि हर अभियान चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन हर साल शत-प्रतिशत बच्चों को दवा पिलाई जाती है। बर्फ वाले स्थानों पर एडवांस में ही वैक्सीन भेज दी जाती है।