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Jammu Kashmir: ट्रांसपोर्टरों ने दी आमरण अनशन की चेतावनी, कहा- 50% किराया बढ़ाने पर ही बैठाएंगे आधी सवारियां

95 प्रतिशत ट्रांसपोर्टरों ने बैंक और निजी फाइनेंस कंपनियों से लोन लेकर वाहन खरीदे हैं। लॉकडाउन की वजह से बैंक की किश्तों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 03:25 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 06:47 PM (IST)
Jammu Kashmir: ट्रांसपोर्टरों ने दी आमरण अनशन की चेतावनी, कहा- 50% किराया बढ़ाने पर ही बैठाएंगे आधी सवारियां
Jammu Kashmir: ट्रांसपोर्टरों ने दी आमरण अनशन की चेतावनी, कहा- 50% किराया बढ़ाने पर ही बैठाएंगे आधी सवारियां

जम्मू, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार द्वारा ट्रांसपोर्टरों को वित्तीय पैकेज नहीं दिए जाने पर ट्रांसपोर्टरों ने नाराजगी जताई है। एसोसिएशन ने साफ किया कि अगर सरकार की ओर से तीन दिनों के भीतर यात्री वाहनों का किराया 50 प्रतिशत बढ़ाने के साथ तयशुदा क्षमता से 50 प्रतिशत कम सवारियां लेकर दौड़ने की अनुमति नहीं मिली तो फिर मजबूरन ट्रांसपोर्टरों को आमरण अनशन पर बैठना पड़ेगा। प्रदेश में सरकार विरोधी धरने और प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

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ऑल जेएंडके ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन स. टीएस वजीर ने शनिवार को पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गत 15 मार्च से लॉकडाउन के कारण ट्रांसपोर्टरों ने सड़कों पर वाहन दौड़ाना बंद कर दिए हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से रोकथाम के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले सभी प्रभावी कदमों का ट्रांसपोर्टर कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करते आए हैं। केंद्र सरकार ने सभी वर्गों के लिए राहत पैकेज तो जारी कर दिया लेकिन ट्रांसपोर्टरों को इससे पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। लाॅकडाउन के दौरान भले ही ट्रांसपोर्टरों को कोई भी कमाई नहीं हुई और करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है लेकिन बावजूद इसके विभिन्न कमर्शियल वाहनों के मालिकों ने अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए वाहन दौड़ाने वाले चालकों और कंडक्टरों की आर्थिक रूप से काफी मदद की है। एसोसिएशन की ओर से उपराज्यपाल को लाॅकडाउन के कारण ट्रांसपोर्टरों को हो रही परेशानी के लिए लिखित रूप से भी अवगत करवाया जा चुका है लेकिन बावजूद इसके अभी तक ट्रांसपोर्टर सरकार की ओर से मदद की बाट जोत रहे हैं। आज तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने ट्रांसपोर्टरों के हितों की बात नहीं की है।

वजीर ने हैरानगी जताई कि एक ओर सरकार की ओर से रेल और हवाई सेवा बहाल कर दी गई है। शराब की दुकानें सहित बाजार को निश्चित समयावधि तक खोल दिया गया है लेकिन अभी तक यात्री वाहनों को सड़काें पद दौड़ाने के लिए इजाजत तक नहीं मिली है। हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और राजस्थान में सरकार की ओर से यात्री किरायों में 20 से 30 प्रतिशत बढ़ोतरी करने के उपरांत शारीरिक दूरी का पालन करते हुए बसें एवं अन्य यात्री वाहन दौड़ रहे हैं। इसी तर्ज पर जम्मू-कश्मीर में भी ट्रांसपोर्टर शारीरिक दूरी का अनुपालन करने के लिए तैयार हैं। यात्री वाहनों को तयशुदा क्षमता से 50 प्रतिशत कम सवारियां लेकर दौड़ाने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके लिए सरकार को यात्री किरायों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करना पड़ेगा तभी ट्रांसपोर्टर अपने यात्री वाहन सड़कों पर दौड़ा सकेंगे।

वित्तीय सहायता नहीं मिलने से ट्रांसपोर्टरों के भूखों मरने की नौबत आ चुकी है। 95 प्रतिशत ट्रांसपोर्टरों ने बैंक और निजी फाइनेंस कंपनियों से लोन लेकर वाहन खरीदे हैं। लॉकडाउन की वजह से बैंक की किश्तों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। उन्होंने सरकार से छह महीनों के लिए लोन की ब्याज दर सहित इंश्योरेंस, फीस को माफ करने और चालकों व कंडक्टरों को लॉकडाउन अवधि के लिए वित्तीय पैकेज देने की मांग की है।

इस अवसर पर एसोसिएशन के महासचिव विजय कुमार शर्मा, मिनी बस वर्कर्स यूनियन के प्रधान विजय विजय सिंह चिब, ऑल जेएंडके ऑयल टैंकर ड्राइवर्स, क्लीनर्स यूनियन के महासचिव स. देवेंद्र सिंह, ऑटो यूनियन के प्रधान शांति स्वरूप गुप्ता, रेलवे टैक्सी आपरेटर यूनियन के पूर्व प्रधान देवेंद्र चौधरी, स. हरसीस सिंह सहित अन्य ट्रांसपोर्टर भी मौजूद थे।


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