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Jammu Kashmir: नेकां-पीडीपी समेत 6 दलों ने फिर छेड़ा अनुच्छेद-370 का राग, गुपकार घोषणा पत्र को बताया राजनीतिक एजेंडा

नेकां-पीडीपी समेत छह दलों ने फिर छेड़ा अनुच्छेद-370 का राग कांग्रेस की राज्य इकाई ने भी इस मांग से जताई सहमति गुपकार घोषणा पत्र को बताया एकमात्र राजनीतिक एजेंडा

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 10:04 AM (IST)
Jammu Kashmir: नेकां-पीडीपी समेत 6 दलों ने फिर छेड़ा अनुच्छेद-370 का राग, गुपकार घोषणा पत्र को बताया राजनीतिक एजेंडा
Jammu Kashmir: नेकां-पीडीपी समेत 6 दलों ने फिर छेड़ा अनुच्छेद-370 का राग, गुपकार घोषणा पत्र को बताया राजनीतिक एजेंडा

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में सुधरते हालात के बीच खुद को दरकिनार महसूस कर रहे विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी सियासत चमकाने के लिए एक बार फिर शरारती एजेंडा शुरू कर दिया है।

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नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन, माकपा के मोहम्मद यूसुफ तारीगामी, जम्मू एंड कश्मीर अवामी नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीए मीर की ओर से शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी कर अनुच्छेद-370 और 35ए की बहाली की मांग की गई।

इन नेताओं ने कहा है कि चार अगस्त 2019 को गुपकार घोषणा पत्र ही हमारा एकमात्र राजनीतिक एजेंडा है। उसे पूरा करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 हटाने व जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किए जाने से एक दिन पहले चार अगस्त की शाम को फारूक के घर बैठक हुई थी। इसमें भाजपा को छोड़कर सभी दलों के नेता शामिल हुए थे और संयुक्त घोषणापत्र जारी किया था।

क्या है गुपकार घोषणा पत्र :

चार अगस्त 2019 को जारी इस गुपकार घोषणा पत्र में कहा गया था कि अगर जम्मू-कश्मीर के विशेष संवैधानिक दर्जे के साथ केंद्र कोई छेड़खानी करता है तो सभी राजनीतिक दल मिलकर राज्य की विशिष्ट संवैधानिक, क्षेत्रीय और मजहबी पहचान के संरक्षण का प्रयास करते हुए जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को सुनिश्चित बनाएंगे।

सालभर में सब कुछ बदल गया :

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने पर कश्मीर में लोगों ने कोई विरोध नहीं जताया। यहां तक कि नेकां, पीडीपी, कांग्रेस व अन्य दलों के नेताओं की गिरफ्तारियों के प्रति भी उन्होंने उदासीनता बरती। इसके बाद से आतंकी हिंसा और पत्थरबाजी में कमी आई और बंद की सियासत भी खत्म हो गई। वहीं, अलगाववादी खेमा अपनी दुकान पर एक तरह से ताला लगा चुका है।

कश्मीरियों को भड़काने की साजिश :

बदले हालात में सियासी जमीन तलाश रहे नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी और अन्य दल एक बार फिर आम कश्मीरियों की भावनाओं को भड़काना चाहते हैं। यह बयान इसकी तस्दीक करता है। इस बयान में नेताओं ने कहा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह गुपकार घोषणापत्र पर कोई समझौता नहीं करेंगे। अनुच्छेद-370 और 35ए को बहाल करने के साथ ही केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का जम्मू-कश्मीर राज्य के रूप में एकीकरण किया जाए।

अनुच्छेद 370 अब वापस आने वाला नहीं : रैना

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने विपक्षी दलों द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 व 35-ए की फिर से बहाली की मांग को मुंगरी लाल के सपने जैसा करार दिया है। रैना ने कहा कि अब जम्मू कश्मीर में ये कभी दोबारा लागू नहीं होंगे। मोदी सरकार ने देश में दो कानून, दो झंडे समाप्त कर जो ऐतिहासिक कदम उठाया है, उससे सदियों से अपने अधिकारों से वंचित समुदायों को उनके अधिकार मिले हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 व 35-ए की समाप्ति से पश्चिमी पाकिस्तानी रिफ्यूजियों, गोरखा समुदाय, वाल्मीकि समाज, जम्मू-कश्मीर की बेटियों, गुज्जर-बक्करवाल व अन्य कई समुदायों को उनके अधिकार मिले।


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