थलसेना में जल्द गठित होंगी तीन नई बटालियन; जम्मू-कश्मीर राइफल्स, सिख रेजिमेंट, कुमाऊं रेजिमेंट को मिलेगी जगह
बीते कुछ वर्षों में विशेषकर 2019 के बाद से जिस तरह से पाकिस्तान के साथ सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के अलावा चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात रहे हैं उसके मद्देनजर ही इन तीनों वाहिनियों का गठन जरूरी हो गया है।
श्रीनगर, नवीन नवाज : पाकिस्तान के साथ एलओसी और पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ एलएसी पर बेशक स्थिति अब शांत है, लेकिन अपनी आक्रामक और प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय थलसेना में जल्द ही तीन नई वाहिनियों (बटालियन) को गठित किया जाएगा। मौजूदा समय में थलसेना में करीब 400 वाहिनियां हैं। प्रस्तावित नई वाहिनियों में एक जम्मू कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट को मिलेगी जबकि एक सिख रेजिमेंट और एक अन्य कुमाऊं रेजिमेंट को प्रदान की जाएगी। इन तीनों को थलसेना के इंटेग्रेटेड बैटल ग्रुप में अग्रिम आक्रामक पंक्ति में रखा जाएगा।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि अगले दो तीन माह में प्रस्तावित वाहिनियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जम्मू कश्मीर राइफल्स में जवान व जेसीओ सिर्फ जम्मू कश्मीर के डोमिसाइल ही होंगे। सिख रेजिमेंट में जवान, जेसीओ व एनसीओ सिख समुदाय से ही होंगे, इसी तरह कुमाऊं रेजिमेंट में गढ़वाल समेत उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों से जवानों की भर्ती होगी। इन तीनों वाहिनियों में करीब तीन हजार जवान भर्ती किए जाएंगे। तीनों वाहिनियों के लिए भर्ती प्रक्रिया अलग-अलग और चरणबद्ध तरीके से चलाई जाएगी। सामान्य परिस्थितियों में नयी सैन्य वाहिनी को तैयार करने में कम से कम छह माह चाहिए।
नए रंगरूटों की भर्ती भी की जाएगी : सूत्रों ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में विशेषकर 2019 के बाद से जिस तरह से पाकिस्तान के साथ सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के अलावा चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हालात रहे हैं, उसके मद्देनजर ही इन तीनों वाहिनियों का गठन जरूरी हो गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित वाहिनियों के गठन में नए रंगरूटों के अलावा संबंधित रेजिमेंट की अन्य वाहिनियों के जवानों को भी शामिल किया जाएगा। इस प्रक्रिया में पहले से मौजूद वाहिनियों के संख्याबल में आने वाली कमी को नयी भर्ती से दूर किया जाएगा। तीनों वाहिनियों को अग्रिम आक्रामक पंक्ति में रखा जाएगा।
और नई बटालियन को मंजूरी देने पर भी विचार : सूत्रों ने बताया कि इन तीन बटालियन के अलावा भी निकट भविष्य में कुछ और रेजिमेंट के लिए नई बटालियन को मंजूरी देने पर केंद्र सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। इन नई बटालियन के गठन से सेना की मारक क्षमता, सैन्य प्रबंधन में भी बेहतरी आएगी।
आठ साल पहले तैयार किया गया था प्रस्ताव : रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इन वाहिनियों के गठन का प्रस्ताव करीब आठ साल पहले तैयार किया गया था, लेकिन मंजूरी गत माह ही मिली है। इन तीन वाहिनियों के गठन का प्रस्ताव आठ साल पहले 17 कोर की स्थापना के समय दिया गया था। 17 कोर में दो डिवीजन बनाए जाने थे, सामान्य तौर पर किसी भी कोर में तीन डिवीजन होते हैं। इसमें सिर्फ एक ही डिवीजन 59 का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय बंगाल में है। यह कोर मुख्यत: पर्वतीय इलाकों में सरहदों की हिफाजत और दुश्मन से निपटने के लिए बनाई गई है। वित्तीय कारणों से तीन वाहिनयों के अलावा दो डिवीजनों का गठन भी अधर में लटक गया था। बीते साल चीन के साथ लद्दाख में एलएसी पर पैदा सैन्य तनाव के दौरान इस प्रस्ताव की नए सिरे से समीक्षा हुई और मंजूरी दे दी गई।