Jammu Kashmir: किसी साजिश का हिस्सा नहीं था पाकिस्तानी कबूतर, पुलिस ने किया आजाद
पकड़ा गया कबूतर किसी साजिश का हिस्सा नहीं था बल्कि वह किसी मछुआरे का था। सच्चाई सामने अाने पर कबूतर को आजाद कर दिया गया।
जम्मू, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर जिला कठुआ के हीरानगर सेक्टर में कुछ दिन पहले पकड़ा गया पाकिस्तानी कबतूर किसी साजिश के तहत यहां नहीं भेजा गया था। कबूतर एक पाकिस्तानी मछुआरे का था। कबूतर से संबंधित यह जानकारी मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कबूतर को आजाद कर दिया। हालांकि पुलिस ने इस संबंध में नहीं बताया कि उन्होंने कबूतर को कहा आजाद किया और वह अपने मालिक तक पहुंचा या नहीं।
एसएसपी कठुआ शेलेंद्र मिश्रा ने कबूतर को आजाद करने की पुष्टि करते हुए बताया कि उससे संबंधित कोई संदिग्ध बात सामने नहीं आई। जांच करने पर पता चला कि यह कबूतर पाकिस्तानी मछुआरे का है, जो गलती से इस ओर आ गया था। यह बात सामने आने पर उसे आजाद कर दिया गया। हालांकि यह पता चला है कि पाकिस्तानी मछुआरे हबीबुल्ला ने भी पाकिस्तानी मीडिया के जरिए यह बात स्वीकारी की हीरानगर में सुरक्षाबलों ने जो कबूतर पकड़ा है, उसका है। उसका गांव सीमा से चार किलोमीटर की दूरी पर है आैर उसने ही अपना यह कबूतर र्इद के दिन हवा में छोड़ा था। वह रास्ता भटकरकर सीमा पार चला गया। उसके पांव में जो रिंग पड़ी है उस पर लिखा कोड उसका मोबाइल नंबर है। उसने पाकिस्तानी मीडिया के माध्यम से भारत सरकार से उसके कबूतर को वापस करने का आग्रह भी किया था।
सनद रहे कि गत 25 मई को हीरानगर के सीमांत गांव मनियारी में कुछ ग्रामीणों ने एक कबूतर को पकड़ा जिसके पैर में लोहे की रिंग पहनाई गई थी। उस पर कुछ लिखा भी हुआ था। लोगों ने समझा कि यह कबूतर किसी साजिश के तहत पाकिस्तान द्वारा यहां भेजा गया है और उसके पैरों पर पहनाई गई रिंग पर अंकित कोड यह दर्शाता है। लिहाजा ग्रामीणों ने कबूतर को पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस का कहना है कि कबूतर के पंखों के कुछ हिस्से में लाल रंग लगाया गया था जबकि उसके पैर में फंसी रिग पर लिखा कोड सुरक्षा एजेंसियों के लिए जांच का विषय बन गया। पुलिस को लगा कि पाकिस्तान ने कोड के बहाने जासूसी का नया तरीका निकाल लिया है।
एसएसपी डॉ. शैलेंद्र मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कबूतर से संबंध में जांच करने के आदेश दिए। गत शुक्रवार को सारी स्थिति स्पष्ट हो गई। पकड़ा गया कबूतर किसी साजिश का हिस्सा नहीं था बल्कि वह किसी मछुआरे का था। सच्चाई सामने अाने पर कबूतर को आजाद कर दिया गया।